
राजसमंद के खौफनाक तरीके से एक मुस्लिम अधेड़ की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है. मुसलमानों के खिलाफ राजस्थान में यह कोई अकेली घटना नहीं है बल्कि राजस्थान में सिलसिलेवार तरीके से ऐसी चीजें हुई हैं जो बताती हैं कि यह किस तरह कट्टर हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला बन गया है.
1. गाय के नाम पर हत्याएं: गाय के नाम पर हत्याओं का सिलिसला थमने का नाम नहीं ले रहा. अभी हाल ही में 11 नवंबर को अलवर में ही उमर खान नामक डेयरी कारोबारी की हत्या कर दी गई. इससे पहले अप्रैल में अलवर में गाय तस्करी के नाम पर पहलू खान नामक मुस्लिम शख्स की हत्या कर दी गई. जून में भी तमिलनाडु के सरकारी कर्मचारियों पर भी गाय के नाम हमला कर दिया गया था.
2. पदमावती विवादः करणी सेना की ओर से पदमावती फिल्म को लेकर प्रदेशभर में हंगामा मचा रहा. नवंबर में नाहरगढ़ किले की दीवार पर फंदे से झूलते चेतन सैनी के शव के जरिए भी इसे विवाद को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश की गई. यह हत्या थी या आत्महत्या इसकी जांच पुलिस कर रही है पर ‘हम सिर्फ पुतले नहीं जलाते’ और ‘काफिर’ जैसे नारे इसी ओर इशारा करते हैं.
3. आरएसएस से जुड़े संगठन के मेले में मुसलमान विरोधी परचे: 20 नवंबर को जयपुर में आरएसएस से जुड़े चेन्नै से संगठन स्पिरिचुअल ऐंड सर्विस फाउंडेशन के मेले में बच्चों के बीच पंपलेट बांटे गए जिनमें कथित लव जेहाद से बचाने के तरीके बताए गए थे. उनमें हिंदू परिवारों से कहा गया था कि “अपनी बेटियों को बताएं कि मुसलमान गंदे, आतंवादी, महिलाओं का शोषण करने वाले, धोखेबाज, पाकिस्तान समर्थक और लफंगे होते हैं.” विडंबना कि कथित तौर पर बच्चों के मेले में राज्य के शिक्षा मंत्री के निर्देश पर भेजा गया और पर्चे बंटवाए गए.
4. राजसमंद में अफराजुल की खौफनाक हत्याः 7 दिसंबर को अफराजुल नामक शख्स के हत्यारे ने अपने वीडियो में लव जेहाद और कश्मीर से लेकर मुसलमानों के खिलाफ नफरत वाली हर बात कही है. विडंबना कि 20 नवंबर को जयपुर के मेले में लव जिहाद के बहाने ही मुसलमानों के खिलाफ नफरत के पर्चे बंटवाए गए थे. पुलिस अब तक कि जांच में इसे हेटक्राइम ही मान रही है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) का एक ताजा आंकड़ा भी इसी ओर संकेत करता है कि किस तरह राज्य में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है. इसके मुताबिक साल 2014 में देशभर में 27 हत्याओं का मकसद सांप्रदायिक था और राजस्थान में इस मकसद से एक भी हत्या नहीं थी. लेकिन 2015 के ताजा आंकड़े में ऐसी तीन हत्याएं राजस्थान में हुई हैं.
ऐसे दौर में जब राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, राज्य में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश बेहद चिंताजनक है. यह इस वजह से और चिंताजनक है क्योंकि सत्तासीन सरकार और उससे जुड़े लोग और संगठन कट्टर हिंदुत्व के नुस्खे आजमा रहे हैं और मुसलमानों के खिलाफ नफरत का जहर बो रहे हैं. 20 नवंबर को स्पिरिचुअल ऐंड सर्विस फाउंडेशन के मेले में ऐसे पर्चे बांटना इसकी तस्दीक करता है.