
राजस्थान सरकार ने सरकारी स्कूलों को पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत संचालित करने का फैसला किया है. ये आदेश जारी होते ही राज्यभर में इसके खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं. लेकिन फतेहपुर में शिक्षकों-अभिभावको और सकूली बच्चों ने 1974 के चिपको आंदोलन की तर्ज पर अपना विरोध जताया.
सीकर जिले के फतेहपुर में राजकीय स्कूाल में शिक्षक, बच्चे और अभिभावक सभी दीवार से छिपककर इस फैसले का विरोध करने उतरे. स्कूल की सरकारी व्यवस्था में इनकी आस्था है और यहां के बच्चे भी सरकारी सिस्टम में भी पढ़ाई करना चाहते हैं. इसी के चलते सभी लोग यहां स्कू्ल को पीपीपी मोड पर दिए जाने के विरोध में जमा हुए.
बच्चों और अभिभावकों के इस आंदोलन ने साल 1974 में पेड़ों की रक्षा के लिए उत्तराखंड में हुए चिपको आंदोलन की याद दिला दी. तब सुन्दरलाल बहुगुणा ने चिपको आन्दोलन की शुरूवात की गयी थी. इसे लेकर शिक्षक संघ के नेताओं ने साफ़ कहा कि इस तरह से वे सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर संचालित किये जाने का वे विरोध करते रहेंगे. साथ ही उन्होंने कहा की अगर सरकार ने पीपीपी मोड पर स्कूलों को संचालित किये जाने के अपने आदेश वापिस नहीं लिए तो अगला कदम फरवरी में जिला कलेक्ट्रेट की दीवारों के जाकर चिपको आंदोलन करके विरोध करेंगे.
इससे पहले भी स्कूल को प्राइवेट करने को लेकर विरोध जताया जा चुके है. अभिभावकों ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि स्कूल में भामाशाह का पैसा लगा है, फिर भी सरकार इसे पीपीपी मोड पर दे रही है. विरोध के लिए आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि जब सरकार ने कुछ दिया ही नहीं तो फिर उसे लेने का हक कैसे है.