
गहलोत सरकार की कानून व्यवस्था फिर सवालों के घेरे में है. गुरुवार को राजस्थान के बाड़मेर में पुलिस हिरासत में एक दलित युवक की मौत हो गई. इस घटना के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में पुलिस अधीक्षक ने थानाध्यक्ष को सस्पेंड और पूरे स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया.
वहीं, परजिनों ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई और परिवार को मुआवजे और नौकरी देने की मांग उठाई है. फिलहाल परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया है. इधर, इस पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने बाड़मेर एसपी को सस्पेंड करने की मांग की है.
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परिजनों के मुताबिक, बुधवार दोपहर एक बजे चार पुलिसकर्मी जीतू की दुकान पर आए और उसे उठाकर थाने लेते गए. रात 9 बजे जीतू से घर वालों की मुलाकात भी हुई थी. पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया, उसके बावजूद भी 24 घंटे तक अपनी कस्टडी में रखा. गुरुवार को सुबह पुलिस हिरासत में अचानक जीतू की बिगड़ी तबीयत बिगड़ गई. उसे आनन-फानन में इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
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युवक का शव अभी जिला अस्पताल में रखा है. मृतक के शव का पोस्टमार्टम न्यायिक मजिस्ट्रेट की निगरानी में होगी. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला अस्पताल में बाहर आरएसी सहित भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. वहीं, परिजनों ने मांग पूरी नहीं होने तक शव लेने से इनकार कर दिया है.