
जिस तरह से सचिन पायलट ने अपनी बात नहीं सुने जाने की बात कह कर कांग्रेस आलाकमान का दरवाजा खटखटाया और आश्वासन पर एंट्री की है. उसी तरह से कहा जा रहा है कि वसुंधरा राजे ने भी प्लान किया है कि अपने समर्थकों के बगावत को राज्य कार्यकारिणी में जगह नहीं मिलने से जोड़कर रखा जाए.
कार्यकारिणी को लेकर नाराज नहीं!
बीजेपी के राज्य कार्यकारिणी की घोषणा हुए करीब 13 दिन हो गए हैं. 12 जुलाई को कांग्रेस का सियासी घटनाक्रम शुरू हुआ था और तब से वसुंधरा राजे चुप्पी साधे हुई थीं. ऐसे में यह बात गले नहीं उतरती कि 31 जुलाई की रात घोषित हुई राज्य कार्यकारिणी के नाम पर वह नाराज थीं.
मगर इस बीच कहा जा रहा है कि वसुंधरा राजे पार्टी के राज्य नेतृत्व से इस बात से नाराज हैं कि उनके समर्थकों को सही जगह नहीं मिली है. यह बात भी सामने आई कि जयपुर की पूर्व राजकुमारी दिया सिंह और संघ से जुड़े विधायक मदन दिलावर को बीजेपी की कार्यकारिणी में शामिल किए जाने पर वसुंधरा खफा हैं.
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जिस अजय पाल सिंह ने अशोक गहलोत से शिकायत की थी कि वसुंधरा राजे ने उनके बंगले पर कब्जा कर लिया है उस अजय पाल सिंह को बीजेपी के राज्य कार्यकारिणी में शामिल करना भी वसुंधरा को पसंद नहीं आया है.
प्रदेश नेतृत्व इज्जत नहीं करता
वसुंधरा राजे के बारे में यह भी कहा गया कि मौजूदा प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ शिकायत की है कि वह उनकी इज्जत नहीं करते हैं और अनदेखी करते हैं. वसुंधरा राजे ने पहले जेपी नड्डा से मुलाकात की मगर बात नहीं बनी तो राजनाथ सिंह से भी मिलकर आईं.
वसुंधरा समर्थकों की ओर से कहा गया कि वे दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर आएंगी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र से वसुंधरा की मुलाकात नहीं हो पाई.
माना जा रहा है कि जिस तरह से वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के सियासी घटनाक्रम पर अपना रवैया अपनाया, उसे देखते हुए हाईकमान पूरी तरह से नाराज है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर कांग्रेस के हर नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उनके नेताओं पर आरोप लगाया मगर वसुंधरा राजे ने कांग्रेस को पलट कर जवाब तक नहीं दिया.
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यह बात भी आम हो गई है कि वसुंधरा राजे ने सरकार बचाने के लिए गहलोत की तरफ से विधायकों का इंतजाम कर रखा था. अब जब अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक हो गए हैं तो ऐसे में वसुंधरा राजे के लिए यह जरूरी हो गया है कि बीजेपी की मुख्यधारा में लौटें लेकिन यह आसान नहीं दिख रहा क्योंकि सचिन पायलट राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के दरबार में चले गए लेकिन वसुंधरा राजे अब किस मुंह से मोदी शाह के दरबार में जाएंगी.
गहलोत ने बंगला बचाया
इस पूरे घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे के बंगले को बचाने के लिए सरकार का पूरा नियम बदल दिया उसे लेकर भी जनता में खूब चर्चा रही.
वसुंधरा राजे ने जिस तरह से मोदी शाह को अपनी ताकत दिखाई है, राज्य में एक बार फिर चर्चा है कि बीजेपी में देश के किसी भी कोने में या कोई साहस नहीं दिखा सकता है. बीजेपी के तरफ से 3 दिन एयरपोर्ट पर 3 चॉपर खड़े रहे मगर वसुंधरा समर्थक विधायकों ने उसमें चढ़कर गुजरात जाने से मना कर दिया.
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उन्होंने साफ-साफ कहा कि वसुंधरा राजे के तरफ से निर्देश है कि वे राजस्थान में ही रहें. इसे लेकर भी आलाकमान सकते में है. दरअसल, वसुंधरा राजे यह नहीं चाह रही थीं कि बीजेपी के समर्थन से सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बने.
माना जा रहा है कि वह किसी वजह से अशोक गहलोत के साथ हो ली थीं. कहा तो यही जा रहा है कि वसुंधरा राजे फैक्टर की वजह से ही मोदी शाह का राजस्थान का ऑपरेशन लोटस विफल हो गया है.
शायद ऐसा पहली बार किसी राज्य में हो रहा होगा कि बीजेपी लगातार तीन दिनों से राज्य में विधायक दल की बैठक की घोषणा कर रही है पर विधायक दल की बैठक हो नहीं पा रही है. अब सबकी निगाहें गुरुवार को होने वाली विधायक दल की बैठक पर है जिसमें वसुंधरा के रुख का इंतजार सभी को है.