
मंगलवार को आज तक के खास कार्यक्रम मुंबई मंथन 2018 के एक सेशन 'कहां गया सेन्स ऑफ ह्यूमर' में कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव और अभिनेता व निर्देशक शेखर सुमन ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन आज तक की जर्नलिस्ट निधि अस्थाना ने किया. इन दिनों कॉमेडी के नाम पर हो रहे फूहड़पन पर शेखर सुमन और राजू श्रीवास्तव ने अपने विचार रखे.
शेखर सुमन ने कहा, ''जिस कॉमेडी में सोच और आध्यात्म मौजूद ना हो वहां ह्यूमर फूहड़ हो जाएगा. लोग जबरन हंसाने की कोशिश में फूहड़पना कर रहे हैं. सामाजिक दायरे में हर चीज का रहना जरूरी है. कई लोग आज व्यापार के लिए इसका (ह्यूमर) इस्तेमाल कर रहे हैं. ये फूहड़ दौर है. जिसे हम सब समझ कर हंस लें वहीं ह्यूमर है. जब ये इस दायरे से बाहर हो जाए तो फूहड़ हो जाता है."
इंग्लिश में फूहड़ बातें लगती हैं अच्छी- राजू
राजू श्रीवास्तव ने कहा, ''आजकल कई कॉमेडी स्टोर शुुरू हो गए हैं. इंग्लिश में कॉमेडी हो रही है. इंग्लिश में लोग डबल मीनिंग बातें कर रहे हैं. जिसपर लोग ठहाके लगाते हैं. इंग्लिश में फूहड़पने को स्टैंडर्ड और क्लास कहा जा रहा है."
लोग खुलकर नहीं हंसते- राजू श्रीवास्तव
राजू ने कहा, ''दुख की बात है कि देश में अमीर लोग खुलकर नहीं हंसते. अपनी हंसी रोकते रहते हैं. हंसी की बात कहने वाला उनसे ज्यादा शक्तिशाली है तो हसेंगे, लेकिन किसी साधारण के कहने पर नहीं हंसते. ऐसे लोग तो घर में भी प्रोटोकॉल लगाकर चलते हैं. पिछले दिनों मैं आर्मी के बीच था. मैंने एक जोक सुनाया तो सबसे पहले कर्नल हंसे. फिर उनके सबार्डिनेट और फिर सारे जवान हंसे. मुझे एक जोक के लिए पंद्रह मिनट लगा था."
जब हंसने के लिए नौकर को लाई अमीर महिला
राजू ने कहा, "बहुत सारे लोग जो हंसी रोकते हैं, उनको लगता है कि हंसेंगे तो हमारी संजीदगी ख़त्म हो जाएगी. अरे भाई हंसी का संबंध गरीबी और अमीरी से नहीं है. ऐसा होता तो सारे करोड़पति हंस रहे होते." राजू ने एक किस्सा साझा किया. उन्होंने कहा, "मैं एक कार्यक्रम में गया था. वहां हाई सोसायटी की एक लेडी बैठी थी. जोक पर हंसने के लिए एक नौकर लेकर आई थी. मैंने एक जोक सुनाया तो उन्होंने कहा, मोहन. वो हंसने लगा. फिर उस लेडी ने कहा, "बस चुप रहो, अब दूसरा जोक सुनाने वाले हैं."