
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को संसदीय कार्य मंत्री को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कार्यवाही शुरू होने पर मंत्री सदन में मौजूद रहें. सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने जरूरी दस्तावेज पटल पर रखवाने के लिए मंत्रियों के नाम पुकारे, लेकिन सदन से मंत्री नदारद रहे, जिसके बाद नायडू ने संसदीय कार्य मंत्री को ये हिदायत दी है.
नायडू ने पहले सदन में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का नाम लिया, लेकिन वह सदन में मौजूद नहीं थे. इसी तरह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग राज्य मंत्री गिरीराज सिंह और गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू का नाम भी सभापति ने लिया लेकिन दोनों मंत्री सदन में नहीं थे.
राज्यसभा में मंत्री संतोष कुमार गंगवार, डॉ महेश शर्मा, हंसराज गंगाराम अहीर, अनंतकुमार हेगड़े और सी आर चौधरी सदन में थे और नाम पुकारे जाने के बाद उन्होंने अपने अपने दस्तावेज सदन के पटल पर रखे. दस्तावेज पटल पर रखवाने की प्रक्रिया चल ही रही थी कि धर्मेन्द्र प्रधान और किरण रिजिजू सदन में आ गए. सभापति ने दोबारा दोनों मंत्रियों के नाम लिए और दोनों मंत्रियों ने अपने अपने दस्तावेज सदन के पटल पर रखे.
इसके बाद नायडू ने कहा ‘संसदीय कार्य मंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्यवाही शुरू होने पर मंत्री सदन में मौजूद रहें, मंत्री समय पर सदन में न रहें या देर से आएं तो इससे व्यवस्था का क्रम बाधित हो जाता है’. इस दौरान पर्यटन मंत्री के जे अल्फोंस सदन में उपस्थित थे और कार्य सूची में उनका नाम भी था. लेकिन दस्तावेज रखवाने की प्रक्रिया के दौरान उनका नाम छूट गया. सभापति ने बाद में उनका नाम लिया जब अल्फोंस ने अपने दस्तावेज पटल पर रखे.
बीते दो दिनों से सदन में विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजरात चुनाव के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेकर दिए बयान पर माफी की मांग कर रहा है. इस मामले पर राज्यसभा में सभापति नायडू ने कहा कि इस सदन के बाहर का मामला है और इसपर सदन की कार्यवाही बाधित करना ठीक नहीं है.