
उत्तर प्रदेश की सियासत में 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर सपा और बसपा फिलहाल के लिए साथ आ गए हैं. सपा-बसपा गठबंधन को लेकर जितनी चर्चाएं चल रही हैं, उससे कहीं ज्यादा कयास इस बात पर भी लगाया जा रहा है कि बीएसपी से राज्यसभा में कौन जाएगा? बीएसपी सुप्रीमो मायावती खुद या फिर उनके भाई आनंद कुमार राज्यसभा के लिए बीएसपी उम्मीदवार होंगे.
आनंद कुमार मायावती के उत्तराधिकारी?
बता दें कि कुछ महीने पहले मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था. इसके बाद से वो लगातार आनंद कुमार को पार्टी का दूसरे चेहरे के तौर पर आगे बढ़ा रही हैं. ऐसे में मना जा रहा है कि आनंद कुमार को वो राज्यसभा भेज सकती हैं.
राज्यसभा के चुनाव में सपा अपना अतिरिक्त वोट बसपा उम्मीदवार को देगी. मायावती के करीबी सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा के लिए वह अपने भाई आनंद कुमार को प्रत्याशी बना सकती हैं
सूत्र बताते हैं कि सपा ने मायावती के खुद चुनाव लड़ने की स्थिति में अपनी सीट देने का ऑफर किया था. हालांकि दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि मायावती खुद के बजाएअपने भाई आनंद कुमार को राज्यसभा भेजना चाहती हैं. इस बहाने के गठबंधन को परखना रही हैं कि सपा के वोट बीएसपी के लिए ट्रांसफर हो रहे हैं या नहीं.
बसपा को चाहिए समर्थन
राज्यसभा चुनाव के सियासी गणित के हिसाब से सपा के पास 10 अतिरिक्त वोट हैं, जबकि बीएसपी के पास 19 और कांग्रेस के पास महज 7 वोट हैं. इसके अलावा 1 वोट आरएलडी, 1 निषाद पार्टी और तीन निर्दलीय वोट भी शामिल हैं. बीएसपी को जीतने के लिए इन सभी वोटों की जरूरत पड़ेगी. राज्यसभा की एक सीट के लिए कम से कम 37 मतों की दरकार होती है.
मायावती का कांग्रेस से डील
राज्यसभा में वोटों का गणित बीएसपी के लिए कितना अहम है इस बात का अंदाजा मायावती की उस प्रेस रिलीज से लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कांग्रेस से 'एक हाथ लो-एक हाथ दो' वाली डील की बात कही थी. मायावती ने कहा था कि कांग्रेस को अगर मध्यप्रदेश से राज्यसभा चुनाव में बीएसपी का समर्थन चाहिए तो उसे उत्तर प्रदेश में बीएसपी के उम्मीदवार को समर्थन करना होगा.
बता दें कि मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को सक्रिय राजनीति में लाते समय कहा था कि उनका फोकस उत्तर प्रदेश है. जबकि उनके भाई आनंद दिल्ली में पार्टी का कामकाज देखेंगे.