
राज्यसभा के हर दो साल में होने वाले चुनावों में 61 नए सांसदों के बाद सदन के समीकरण बदल गए हैं. राज्यसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों की संख्या 102 हो गई है. अब राज्यसभा में एनडीए को बहुमत के लिए केवल 22 सांसदों की जरूरत होगी. राज्यसभा में बीजेपी के पास 85 सांसद हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के पास सिर्फ 40 सांसद रह गए हैं, और यूपीए सांसदों की संख्या 65 है. मतलब सदन में गैर एनडीए और गैर यूपीए दलों की अहम भूमिका में बनी रहेगी.
राज्यसभा में पिछले कुछ सालों में कांग्रेस और कमजोर हुई है. वहीं बीजेपी और मजबूत हुई है. राज्यसभा में कांग्रेस की ताकत बीजेपी से आधी से भी कम रह गई है, जबकि एनडीए ने 100 का आंकड़ा पार कर बहुमत की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं. हालांकि सरकार अभी बहुमत 22 सीट दूर है.
1990 के बाद किसी के पास बहुमत नहीं
ध्यान रहे राज्यसभा में 1990 के बाद से किसी दल के पास बहुमत नहीं रहा है. 1990 से पहले राज्यसभा में कांग्रेस के पास बहुमत था. राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत न होने के कारण 2014 से 2019 के बीच मोदी-1 की सरकार को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. हालांकि 17वीं लोकसभा में सभी नाजुक मौकों पर जैसे तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने संबंधी बिल को पास कराने के लिए ग़ैर कोंग्रेसी दलों में सेंध लगा कर इन विधेयकों को क़ानून का बनाया.
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बता दें कि 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 पर होता है. अब इन द्विवार्षिक चुनाव के बाद बीजेपी की संख्या 85 सांसदों की हो गई है, जबकि एनडीए के सांसदों की संख्या 102 हो गई है. अब एनडीए के लिए बहुमत केवल 22 सीटों का अंतर रह गया है.
कहां होगा असर
सदन के इन आंकड़ों का असर विधायी कामकाज पर पड़ता है और सरकार के लिए स्थितियां आसान होती हैं. कांग्रेस और यूपीए के समर्थक दलों के कमजोर होने से एनडीए को राज्यसभा में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी, क्योंकि कई गैर यूपीए दल जरूरत पड़ने पर मोदी सरकार का समर्थन करते रहते हैं.
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इनमें बीजेडी, एआईएडीएमके, आम आदमी पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस जैसे दल कांग्रेस विरोधी हैं. इन दलों का समय-समय पर समर्थन मोदी सरकार को मिलता रहता है. इस साल नवंबर में अकेले यूपी से 10 सीटें खाली हो रही हैं. उत्तर प्रदेश की 402 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल के पास 321 विधायक हैं. ऐसे में नवंबर में यूपी की 10 राज्यसभा सीटों में से 8 सीटें बीजेपी की झोली में जाएंगी. इसके बाद राज्यसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत के बीच 14 सीटों का अंतर रह जाएगा.