Advertisement

संकट की घड़ी में नेताजी के दूत बने राम गोपाल, शिवपाल से रहा है मनमुटाव

सांसद राम गोपाल यादव नेताजी के निर्देशों का पालन करते हुए गुरूवार को दिल्ली से लखनऊ पहुंचे और सीएम अखिलेश यादव से मिले.

राम गोपाल यादव राम गोपाल यादव
मोनिका शर्मा
  • लखनऊ,
  • 15 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:25 PM IST

समाजवादी पार्टी में सत्ता को लेकर मचे घमासान के बीच मुलायम सिंह यादव ने परिवार की कलह दूर करने की जिम्मेदारी राम गोपाल यादव को सौंपी. सांसद राम गोपाल यादव नेताजी के निर्देशों का पालन करते हुए गुरुवार को दिल्ली से लखनऊ पहुंचे और सीएम अखिलेश यादव से मिले. अखिलेश से मुलाकात के बाद राम गोपाल ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि सिर्फ एक शख्स पार्टी का नुकसान करने पर तुला हुआ है. उन्होंने अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने को भी गलत ठहराया.

Advertisement

पेशे से टीचर रहे राम गोपाल यादव इस समय सपा के टिकट पर यूपी से राज्यसभा के सदस्य हैं. राम गोपाल सपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता के पद पर भी हैं. मुलायम के चचेरे भाई राम गोपाल की अखिलेश से बनती है जबकि साढ़े चार साल पहले चाचा शिवपाल याद व से अखि‍लेश के रिश्ते खराब हो गए थे जब उन्हें सीएम बनाया गया था. उसके बाद भी कई ऐसे मौके आए जब अखिलेश और शि‍वपाल के बीच दूरियां साफ दिखाई दीं. चाहे वो अमर सिंह की वापसी का मसला हो या बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय की.

अखि‍लेश और शिवपाल के बीच ताजा मनमुटाव के दौरान बाप-बेटे के बीच भी दूरियां बढ़ी हैं. अखि‍लेश ने मौजूदा हालात के लिए 'बाहरी' शख्स को जिम्मेदार ठहराते हुए अमर सिंह पर निशाना साधा तो राम गोपाल भी उनके सुर में सुर मिलाते नजर आए. राम गोपाल यादव ने कहा कि सीएम अखि‍लेश को बाहरी दखल बर्दाश्त नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग नेताजी के सीधेपन का फायदा उठाते हैं.

Advertisement

राम गोपाल से अखिलेश की है करीबी
छह साल के राजनीतिक वनवास के बाद अमर सिंह की समाजवादी पार्टी में वापसी हुई तो सीएम अखिलेश इससे खुश नहीं थे. अमर सिंह को नेताजी के साथ साथ शिवपाल का समर्थन हासिल है जबकि अमर सिंह की वापसी को लेकर राम गोपाल भी खुश नहीं थे.

यूपी के इस सबसे प्रभावी यादव परिवार में भी धड़े हैं. परिवार में राम गोपाल, अखिलेश यादव और लोकसभा सांसद धर्मेंद्र यादव के आपस में ठीक-ठाक रिश्ते हैं जबकि राम गोपाल और शि‍वपाल के बीच नहीं बनती है. बताया जाता है कि मथुरा का जवाहरबाग कांड इन दोनों चचेरे भाइयों के आपसी कलह का नतीजा था.

यादव बंधुओं की वजह से मथुरा कांड!
बताया जाता है कि 2012 में जय गुरुदेव का निधन हुआ तो खरबों के साम्राज्य पर उनके चेलों की नजर पड़ गई. जय गुरुदेव के एक चेले पंकज यादव की शि‍वपाल से करीबी थी. इसके दम पर पंकज ने हजारों करोड़ रुपये की संपत्त‍ियों पर कब्जा कर लिया था. जय गुरुदेव के दूसरे चेले रामवृक्ष यादव की राम गोपाल से करीब थी जिसने सांसद के पुत्र अक्षय यादव की लोकसभा चुनाव में जीत में अहम भूमिका निभाई थी. रामवृक्ष ने जवाहरबाग पर कब्जा कर रखा जिसे खाली कराने को लेकर बवाल हुआ.

Advertisement

चचेरे भाइयों के कोल्ड वॉर में भतीजे को नुकसान
हालांकि रामगोपाल और शिवपाल के बीच सार्वजनिक रूप से कभी मनमुटाव की बात अभी तक सामने नहीं आई है. लेकिन कहा जाता है कि अपने स्वामिभक्त लोगों को पार्टी और सरकार के स्तर से लाभ दिलाने को लेकर अक्सर एक दूसरे के हित आमने-सामने हो जाते हैं. इस वजह से उनकी ओर से जब पर्दे के पीछे से कोई रणनीति बनती है तो इस असर भतीजे अखिलेश सरकार की छवि पर पड़ता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement