
स्टारः 3.5
फिल्मः गोलियों की रास लीला- राम-लीला
डायरेक्टरः संजय लीला भंसाली
कलाकारः दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, सुप्रिया पाठक, ऋचा चड्ढा और गुलशन देवैया
संजय लीला भंसाली ने दिखा दिया कि वे रूपहले पर्दे के बड़े जादूगर हैं. वे सदियों पुरानी और कई बार कही जा चुकी कहानी को अपने अंदाज से रंगकर एकदम नए खाके में पेश कर सकते हैं, बिल्कुल उसी तरह जैसे उन्होंने देवदास में किया था. वे जानते हैं कि मन को भाने वाले रंगों, परिधानों, माहौल और इस सबके साथ कहानी को बुनकर किस तरह नया रंग पैदा किया जा सकता है. फिल्म में एक्शन, ड्रामा और रोमांस का जबरदस्त छौंक है. राम-लीला में संजय लीला ने अपना भरपूर कॉमर्शियल अंदाज दिखाया है. फिल्म में किसेज और सेक्स फैक्टर इस बात की बखूबी पुष्टि कर देता है. इसका संगीत फिल्म को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाता है. म्युजिक भी संजय का ही है. लव स्टोरी देखने के शौकीनों के लिए अच्छी फिल्म है.
कहानी में कितना दम
कहानी शेक्सपीयर के रोमियो-जूलियट से प्रेरित है. दो खानदान हैं, जिनमें कई सौ साल से दुश्मनी चली आ रही है. बस, दोनों ही परिवारों के लड़के राम और लड़की लीला के नैन लड़ते हैं, और दोनों में प्यार हो जाता है. प्यार के आगे तो बड़े-बड़े मजबूर हो जाते हैं. बस गोलियों के साए में राम और लीला की प्रेम-लीला आगे बढ़ती है. कहानी बॉलीवुड में हजारों बार अलग-अलग ढंग से पेश की जा चुकी है. इसलिए कहानी के मामले में फिल्म में कुछ भी बहुत नया नहीं है, लेकिन ट्रीटमेंट के मामले में फिल्म अलग है. कहानी आपको जानी-पहचानी लग सकती है लेकिन भव्यता, स्टाइल और ट्रीटमेंट संजय छाप है. कहीं-कहीं फिल्म बहुत लाउड हो जाती है और इंटरवेल के बाद थोड़ी धीमी भी.
स्टार अपील
फिल्म में दीपिका पादुकोण छाई रहती हैं, और कई मौकों पर वे किसी हीरो से कम नहीं लगती हैं. खासकर गानों में तो उनका कोई तोड़ ही नहीं है. फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की छाप उन पर साफ नजर आती है, बिल्कुल ‘हम दिल दे चुके सनम’ की ऐश्वर्या जैसी. रणवीर सिंह कहीं-कहीं कमजोर कड़ी लगते हैं. लेकिन कोशिश अच्छी की है. सुप्रिया पाठक और ऋचा चड्ढा भी अच्छी लगती हैं. लेकिन गुलशन देवैया नेगेटिव शेड में सरप्राइज पैकेज हैं.
कमाई की बात
फिल्म को 35-40 करोड़ रु. के बजट के बीच का बताया जाता है. अगर यह सही है तो फिल्म के लिए अपनी लागत निकालना मुश्किल नहीं होगा. पिछले दो हफ्ते से कृष-3 ही सिनेमाघरों में लगी है. इसलिए दर्शकों को यह फिल्म नया मसाला देने का काम कर सकती है. इसके पास एक हफ्ते का समय है क्योंकि अगले हफ्ते ‘गोरी तेरे प्यार में’ और ‘सिंह साब द ग्रेट’ रिलीज हो रही हैं. इसलिए राम-लीला के लिए यह तीन दिन बहुत मायने रखते हैं. संजय फिल्में तो अच्छी बनाते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से उनके डायरेक्शन वाली फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बड़ा चमत्कार नहीं कर सकी हैं, इसलिए राम-लीला की कामयाबी काफी कुछ तय करेगी.