
Ram Temple Issue राम जन्म भूमि न्यास से जुड़े संत नृत्य गोपाल दास ने कहा है कि अगर राम मंदिर का रास्ता साफ नहीं होता है, तो इसका 2019 के चुनाव में बीजेपी को नुकसान हो सकता है. दूसरी तरफ, राम जन्मभूमि के प्रमुख वादियों में शामिल निर्मोही अखाड़े के महंत धर्मदास ने यह दावा किया है कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाना सरकार के लिए एक 'बड़ी गलती' साबित होती, क्योंकि इससे निर्माण में और देरी हो सकती थी. धर्मदास ने कहा कि यदि कोई कानून आता तो निश्चित तौर पर उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती और यह मामला और लटक जाता.
संत नृत्य गोपाल दास ने इकोनॉमिक टाइम्स अखबार से कहा, ' मोदी के शब्दों ने हिंदुओं को इस बात के लिए मजबूर कर दिया है कि वे बैठकर इस पर सोचें और अब सुप्रीम कोर्ट को प्राथमिकता के आधार पर इसका निर्णय लेना चाहिए. राम मंदिर का रास्ता साफ नहीं हुआ तो 2019 में बीजेपी को नुकसान होगा. कुंभ में धर्म संसद के आयोजन के दौरान इस मसले पर चर्चा की जाएगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक से जुड़े मुकदमे की सुनवाई करते हुए नई बेंच के गठन का ऐलान किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नई बेंच 10 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद हिंदू महासभा के वकील ने कहा है कि अगर नई बेंच मामले की सुनवाई रोजाना करती है तो सालों पुराने इस विवाद का फैसला 60 दिनों में भी आ सकता है.
महंत धर्मदास ने इकोनॉमिक टाइम्स सेे कहा, 'जब मामला कोर्ट में हो तो कोई कानून या अध्यादेश लाने का कोई मतलब नहीं है. इसलिए मुझे समझ नहीं आ रहा कि आखिर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह मांग किस तरह से की. प्रधानमंत्री ने अध्यादेश न लाकर सही काम किया है, क्योंकि इससे मुकदमे में और देरी होती और कोई पक्ष इसे चुनौती जरूर देता. अब यह मामला करीब अंतिम दौर में है. इसलिए इस पर जल्दी निर्णय कराने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.' हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक निर्मोही अखाड़े के पास विवादित जमीन के एक-तिहाई हिस्से का मालिकाना हक है.
महंत धर्मदास ने कहा कि राम मंदिर बनाने के मामले में सरकार कुछ खास नहीं कर सकती, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और कानून लाकर किसी तरह के फेरबदल से कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होगी.