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पहले राम जन्म भूमि के लिए लड़ाई थी तो अब राम पर अधिकार जमाने के लिए. श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनने के बाद से ऐसा ही कुछ नजर आ रहा है. इस मुद्दे पर साधू-संन्यासी कई फाड़ में बंट चुके हैं. इन्हीं में से एक है रामालय ट्रस्ट.
ज्योतिष और द्वारका शारदा पीठाधीश्वर की अगुवाई वाले रामालय ट्रस्ट ने राम मंदिर के लिए 1008 किलो सोना दान के जरिये जुटाने के लिए स्वर्ण-संग्रह-सपर्या अभियान की शुरुआत की है. सपर्या प्रमुख ने रामलला को राम मंदिर बनने तक जिस बाल मंदिर में रखने की जिद ठानी है, उसे मंगलवार को प्रदर्शित किया गया. साथ ही श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा किया गया.
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क्या ये वही मंदिर होगा जिसमें रामलला को टेंट से निकालकर अस्थायी रूप से तब तक स्थापित किया जाएगा जब तक राम मंदिर पूर्ण रूप से बन नहीं जाता? ज्योतिष और द्वारका शारदा पीठाधीश्वर की अगुवाई वाले रामालय ट्रस्ट ने फिलहाल ऐसा ही दावा मंगलवार को 24 फीट ऊंचे बाल मंदिर को प्रदर्शित करते हुए किया.
दावा किया जा रहा है कि ये सिर्फ सागवान के लकड़ी का विशाल बाल मंदिर ही नहीं है, बल्कि इसे दाम में मिले 100 किलो सोने से मंडित भी किया जाएगा. इतना ही नहीं, इसमें रखे सिंहासन को भी 8 किलो सोने से रामालय ट्रस्ट मंडित कराएगा, और तो और दान में मिले 900 किलो सोने को ट्रस्ट की ओर से राम मंदिर के मुख्य शिखर पर लगाया जाएगा.
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दावा किया जा रहा है कि 1008 किलो सोना जुटाने के लिए रामालय ट्रस्ट की ओर से बनाए गए स्वर्ण-संग्रह-सपर्या की शुरुआत भी कुछ दिनों पहले वाराणसी में की जा चुकी है. बाल मंदिर के प्रदर्शन के साथ ही स्वर्ण-संग्रह-सपर्या प्रमुख स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उनकी ओर से दान में जुटाए जाने वाले सोने के विरोध के सवाल पर कहा कि राम जी के लिए कोई एक ही संस्था काम नहीं कर सकती है. अगर हम अपने उद्देश्य से भटके तो समस्या आ सकती है.
उन्होंने कहा कि किसी को क्या आपत्ति हो सकती है. बाल मंदिर और दान का सोना अस्वीकारने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम ऐसी कल्पना नहीं कर सकते हैं. श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि नियमों को ताख पर रखकर ट्रस्ट बनाया गया है. इसके लिए वे कोर्ट जाएंगे.