
देश भर में रेलगाड़ियों में बायोटॉयलेट लगाने का अभियान जोरों पर है. इसी सिलसिले में रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग पर चलने वाली सभी रेलगाड़ियों में बायोटॉयलेट फिट कर दिए गए हैं. इस तरह से रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग देश का पहला ग्रीन ट्रेन कॉरीडोर बन गया है. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रविवार यानी 24 जुलाई को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग के ग्रीन ट्रेन कॉरीडोर बन जाने को हरी झंडी दिखाएंगे.
प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को अमली जामा पहनाने के लिए रेल मंत्रालय ने रेलवे स्टेशनों और रेलगाड़ियों को स्वच्छ रखने का काम प्रमुखता से शुरू रखा है. इसी सिलसिले में रेलगाड़ियों में बायोटॉयलेट लगाने का काम शुरू किया गया था. इससे जहां एक तरफ रेलवे लाइन पर मलमूत्र गिरने से होने वाली गंदगी को रोका जा सकेगा तो वहीं टॉयलेट में पानी के इस्तेमाल की बरबादी को कम किया जा सकेगा.
2019 तक सभी ट्रेनों में बायोटॉयलेट
दरअसल भारतीय रेलवे में चलने वाली रेलगाड़ियों में बने आम टॉयलेट सीधे पटरियों पर मल-मूत्र गिराते हैं. इससे पटरियों पर गंदगी रहती है. इससे निजात पाने के लिए भारतीय रेलवे ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ के साथ मिलकर बायोटॉयलेट विकसित किए. इन टॉयलेटों की खासियत ये होती है कि इनमें मल-मूत्र एकत्रित करने के लिए एक टैंक बना होता है और इस टैंक में खास तरह के बैक्ट्रीरिया मल-मूत्र को डिकंपोज करके पानी में तब्दील कर देते हैं. इससे पटरियों पर गंदगी गिरने का सिलसिला बंद हो रहा है.