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समाजवादी पार्टी में कलह के बीच अखिलेश यादव और मुलायम सिंह दोनों के खेमों से बयानबाजी जारी है. ऐसे में जब रामगोपाल यादव से मुलायम सिंह की ओर से लगे अखिलेश को बहकाने के आरोप पर सवाल पूछा गया तो वह भड़क गए. रामगोपाल ने गुस्से में कहा कि आखिर ये सवाल बार-बार क्यों पूछा जा रहा है और इस पर मैं कुछ भी नहीं कहूंगा. हालांकि उन्होंने कहा कि अखिलेश का पक्ष लेकर हम लोग चुनाव आयोग गए थे और हमने आयोग से मांग की है कि इस पूरे मामले में जल्द से जल्द फैसला दिया जाये. उत्तर प्रदेश में नामांकन की तारीख नजदीक है इससे पहले फैसला लिया जाए.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में साइकल चुनाव चिन्ह को लेकर दोनों ही गुट अपना पक्ष चुनाव आयोग के सामने रख चुके हैं. जब पहली बार अखिलेश गुट ने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी तब आयोग ने अखिलेश गुट को पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावा करने वाले सभी दस्तावेज मुलायम सिंह को भेजने के निर्देश दिए थे.
अखिलेश गुट की तरफ से समाजवादी पार्टी के राज्य सभा सांसद जावेद अली ने कहा कि हमने विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के हस्ताक्षर किये दस्तावेज चुनाव आयोग में दिए हैं. लेकिन जब हमने मुलायम सिंह के दिल्ली और लखनऊ आवास पर आयोग के निर्देशानुसार दस्तावेज भेजे तो उन्होंने लेने से इंकार कर दिया. जावेद अली ने कहा कि आयोग के गेट पर जब हमने दस्तावेज मुलायम सिंह को देना चाह तो वहां मौजूद अमर सिंह ने नेता जी को दस्तावेज नहीं लेने दिए.
अखिलेश गुट और मुलायम सिंह गुट के बीच पिछले दिनों से जिस तरीके से आपस में तनातनी चल रही है उससे पार्टी के कार्यकर्ता भी काफी असहज महसूस कर रहे हैं. पार्टी के लिए प्रचार करने वालों नेताओं से भी इलाकों में जनता पार्टी की कलह के बारे में सवाल करती है. जिसके बाद कार्यकर्ताओं ने मामला सुलढने तक चुनाव क्षेत्रों का दौरा ना करने का फैसला किया है.
यहां तक कि नेता गाड़ियों पर लगे पर्चे और चुनाव चिन्ह भी हटाने की कोशिश में लग चुके हैं. सात चरणों में होने वाले यूपी चुनाव में पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 17 जनवरी से शुरु हो जाएगी. दोनों पक्ष यह चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव आयोग चिन्ह को लेकर अपना फैसला सुनाएं और उसके आधार पर कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर तैयारी में जुट जाएं. हालांकि रामगोपाल यादव ने ने कहा है कि साइकिल चिन्ह ना भी मिले तो अखिलेश का चेहरा और नाम लेकर जनता से वोट मांगेंगे.