
रांची में झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल 'रिम्स' में कई वार्डों में मरीजों के परिजन बिजली और पानी की बदहाल व्यवस्था से त्रस्त हैं. हाल ये है की अगर आपको यहाँ इलाज कराना है तो घर से पानी और पंखा साथ लाना होगा. दरअसल स्वास्थय सुविधाओं को दुरुस्त करने की दुहाई देती सरकार मरीजों को बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध कराने में असफल नजर आ रही है. गौरतलब है कि इस अस्पताल का सालाना बजट करीब तीन सौ करोड़ का है.
भीषण गर्मी में वार्डो से पंखे नदारत
रांची के बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में मरीजों को मिलने वाली स्वास्थय सुविधाओं का हाल बहुत ही खराब है. यहां पर मरीज कॉरिडोर में ही अपना इलाज कराने को विवश है क्योंकि इन्हें बेड उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. लेकिन जिन भाग्यशाली मरीजों को बेड की सुविधा मिलती है उनकी तकलीफ भी अलग किस्म की होती है. यहां पर मरीज टेबल फैन, हैंड फैन और पेपर के सहारे गर्मी दूर भगाते हैं. AC की बात छोड़िए यहां तो पंखे भी नदारत हैं. इस भीषण गर्मी में जब तापमान 40 डिग्री से ऊपर है मरीजों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है.
यहां गंभीर मरीजों का इलाज हो : प्रबंधन
यहीं हाल पानी का है जो शायद ही नलों में आता है. ऐसे में मजबूरन मरीजों को घर से या खरीद कर पंखो और पानी की व्यवस्था करना पड़ रहा है. वहीं रिम्स के अधिकारियों का कहना है कि आस-पास कोई दूसरा सरकारी अस्पताल नहीं होने के कारण रिम्स पर मरीजों का बोझ बहुत ज्यादा है. इलाज की आस में मरीज रिम्स का ही रुख करते हैं. हलाकि प्रबंधन लोगों को पूरी सुविधाएं देने का प्रयास जरूर कर रहा है. लेकिन साथ में अधिकारी यह भी बताते हैं कि यहां सिर्फ गंभीर मरीजों को रेफर करने से हालात में सुधार हो सकता है.
सबका साथ और सबका विकास नारे को बुलंद करती 'रघुवर सरकार' अपने घर में ही नागरिकों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा देने में विफल साबित हो रही है. हाल ये है कि शहर के बीचों बीच करोड़ों की लागत से बना सदर अस्पताल बीते दो सालों से बनकर तैयार है, लेकिन किसी न किसी वजह से यहां मरीजों का इलाज शुरू नहीं किया जा सका है.