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राइटर डायरेक्टर कुलदीप रुहिल की डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'चीरहरण- रक्षण, भक्षण आरक्षण' में पिछले साल फरवरी में हुए जाट आंदोलन के दर्द को फिल्माने की कोशिश की है. कुछ ऐसे वाक्यों और चश्मदीदों को उन्होंने अपने कैमरे में कैद किया है जो खुद अपने साथ हुए भयावह हादसे की कहानी बयां कर रहे हैं. फिल्म के बारे में अवेयरनेस फैलाने के मकसद से कुलदीप दिल्ली में थे.
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जाट आंदोलन ने पूरे देश का किया 'चीरहरण'
राज्यों में सबसे शांत रहने वाला राज्य हरियाणा 2016 में दहक उठा. आरक्षण की मांग को लेकर उठे जाट आंदोलन ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. कई मासूमों की जानें गईं, दुकानों से लेकर घर फूंक दिए गए, बहन बेटियों की अस्मत तक खतरे में पड़ गई थी. जान माल के हुए करोंड़ो के नुकसान से राज्य अभी तक उबर नहीं पाया है. आखिर कौन थे वो लोग जिन्होंने आरक्षण के नाम पर हरियाणा के लोगों को जिंदगी भर के लिए ऐसा जख्म दिया जिसकी टीस उन्हें पूरी जिंदगी भर परेशान करती रहेगी. फरवरी 2016 में आरक्षण की आड़ में आखिर कैसे हुआ हरियाणा का 'चीरहरण'.
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कुलदीप ने बताया- 'मैं खुद भी हरियाणा से हूं, मैंने जब ये खबर टीवी पर देखी तो मुझे ऐसा लगा जैसे हरियाणा द्रौपदी बन गया हो. हर तरफ तबाही का मंजर था. सब बस मूक दर्शक बन कर देख रहे थे, कोई कुछ नहीं कर पा रहा था, कहीं से कोई मदद नहीं मिल पा रही थी, मुझे बहुत धक्का लगा कि आखिर ये क्या हो रहा है और क्यूं हो रहा है.'
रणदीप हुड्डा ने भी किया मूवी को सपोर्ट
इस मौके पर बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा भी फिल्म को सपोर्ट करने पहुंचे. रणदीप ने बताया- 'ये फिल्म एक एक्सप्लोरेशन है, हरियाणा में उस समय जो हुआ और क्यूं हुआ उसको बेहतर तरीके से जानने की कोशिश है, मैं भी हरियाणा से हूं, जो भी कुछ हुआ मेरे घर में हुआ, मेरे घर में लूटपाट हुई, मैं सिर्फ इसलिए फिल्म से जुड़ा हूं कि ये बात लोगों तक पहुंचे. आजकल आरक्षण सिर्फ वोट बैंक की राजनीति बन गई है. ये फिल्म इंसानियत के पहलू से बनीं है'.
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दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल्स में होगी रिलीज
डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'चीरहरण- रक्षण, भक्षण आरक्षण' 90 मिनट की है जिसे पहले दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल्स में भेजा जाएगा. उसके बाद इस फिल्म को 6 महीने के बाद देशभर के सिनेमा हॉल में रिलीज किया जाएगा.