
संजय लीला भंसाली की फिल्म रिलीज हो न हो लेकिन चित्तौड़गढ़ का इतिहास बदलने की तैयारी चल रही है. चित्तौड़गढ़ में रानी पद्मिनी और अलाउद्दीन खिलजी के बीच कांच में देखने-दिखाने के इतिहास को हटाया जाएगा. इसके लिए चित्तौड़गढ़ किले में नौ साल से चल रहा लाइट एंड साउंड शो अब बदलेगा. इस शो में रानी पद्मावती को कांच में अलाउद्दीन खिलजी के दिखाने के वाकये को हटाया जाएगा.
चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी ने कहा कि 5.50 करोड़ खर्च कर नया लाइट एंड शो बनाया जा रहा है, जिसे पुराने लाइट एंड साउंड शो की जगह दिखाया जाएगा. इसी तरह से पद्मिनी महल के बाहर आर्के लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से लगे शिलालेख भी हटाए जाएंगें. जिसपर अलाउद्दीन खिलजी के रानी पद्ममिनी के कांच में देखने की बात लिखी है.
चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी ने कहा कि जल्द ही ये सब बदल दिया जाएगा. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या संजय लीला भंसाली की पद्मावती फिल्म के बाद ही सांसद महोदय और राजस्थान सरकार को याद आया है कि उनका दिखाया जा रहा लाइट एंड साउंड शो गलत है.
पद्मावती विवाद की वजह से चित्तौड़ में बढ़ी टूरिस्टों की संख्या
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर जारी विवाद के चलते चित्तौड़गढ़ की अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिल गई है. पिछले कुछ दिनों में टूरिस्टों के आने की संख्या और अगले 6 महीने की बुकिंग ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. पहले की तुलना में टूरिस्टों की संख्या में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. हर कोई रानी पद्मिनी के उस महल को देखना चाहता है जिसे लेकर देश भर में हंगामा मचा है.
संसद से लेकर मुख्यमंत्रियों तक ने इसके खिलाफ हल्ला बोल दिया है. लेकिन मजेदार बात है कि टूरिस्ट गाइड आज भी खिलजी और पद्मिनी के कांच में देखने-दिखाने की वही कहानी सुना रहे हैं जिसको लेकर देश भर में हंगामा मचा हुआ है.
पद्मावती महल को भव्य मंदिर बनाने की तैयारी
चित्तौड़गढ़ में यूं तो पद्मावती की पूजा पहले से होती है. अब चित्तौड़ के लोगों ने ऐलान किया है कि अब इस जगह पर माता पद्मावती का भव्य मंदिर बनेगा. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पद्मावती को राष्ट्रमाता बताया और यूपी के मुख्यमंत्री ने देवी माता बताया तो अब चित्तौड़ के लोगों ने इन्हें देवी का रूप बताते हुए उनकी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी. पद्मिनी की पूजा करते हुए लोगों ने इन्हें सती माता का दर्जा देते हुए पूजा अर्चना की.
राष्ट्रीय करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने कहा कि पद्मिनी महल को माता पद्मिनी के भव्य मंदिर के रुप में विकसित किया जाए. इसके लिए एएसआई और केंद्र सरकार से पद्मिनी महल को राजपूतों को सौंपने के लिए कहा है. करणी सेना का मानना है कि पद्मिनी महल को लेकर इससे हमेशा के लिए विवाद खत्म हो जाएगा और अलाउद्दीन खिलजी के वहां पहुंचकर रानी पद्मिनी को कांच में देखने की झूठी बात भी खत्म हो जाएगी.