
मेडिकल विज्ञान में इसे मोटे तौर पर डिम्बवाहिनी नलियों (फैलोपियन ट्यूब्स) का रिकैनलाइजेशन कहा जाता है. लेकिन मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध नसंबदी विशेषज्ञ डॉ. ललितमोहन पंत के शब्दों में उनका यह ऑपरेशन एक मां को परिवार नियोजन के ऑपरेशन के ढाई घंटे के भीतर नया जन्म देने जैसा था.
वरिष्ठ सरकारी सर्जन का दावा है कि उसने मामूली सुविधाओं वाले दूरस्थ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 24 वर्षीय महिला के नसबंदी ऑपरेशन को महज ढाई घंटे के अंतराल में उलट दिया और उसे मां बनने की क्षमता लौटा दी.
डॉ. पंत ने दुर्लभ मेडिकल तजुर्बा बांटते हुए बताया कि उन्होंने यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर महेश्वर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी शिविर के दौरान 12 फरवरी को उमा चौहान (24) का सफल ऑपरेशन किया था. लेकिन इसके थोड़ी देर बाद उन्हें कहा गया कि वह इस ऑपरेशन को उलटते हुए महिला की बंद की गयीं डिम्बवाहिनी नलियों को खोल दें.
उन्होंने बताया कि उनसे यह गुजारिश इसलिये की गयी, क्योंकि नसबंदी ऑपरेशन के महज आधे घंटे बाद उमा की 21 दिन की बीमार बच्ची की मौत हो गयी थी लिहाजा वह दोबारा मां बनना चाहती थीं.
डॉ. पंत ने कहा, ‘मैं पिछले तीन दशक के दौरान नसबंदी के लगभग तीन लाख ऑपरेशन कर चुका हूं. लेकिन मैंने इस ऑपरेशन को इतनी जल्दी कभी नहीं उलटा था. दूसरे, दूरस्थ क्षेत्र के उस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इस महीन सर्जरी के लिये मेरे पास न तो जरूरी औजार थे और न ही दूसरे साधन-सुविधाएं. लेकिन मैंने आत्मा की आवाज पर यह ऑपरेशन करने का फैसला किया.’
वरिष्ठ सरकारी सर्जन ने बताया कि उन्होंने नसबंदी ऑपरेशन के ढाई घंटे बाद आम लैप्रोस्कोप और दूसरे मामूली औजारों से महिला की दोनों डिंबवाहिनी नलियों को खोल दिया. फिर इन नलियों में दवाओं और विशेष रसायनों का घोल प्रवाहित किया गया, ताकि इनकी सूजन कम हो सके और वे पुरानी स्थिति में लौट सकें. डॉ. पंत का दावा है कि नसबंदी को उलटने के ऑपरेशन के बाद अब उमा दोबारा मां बन सकती हैं.
इससे उनके पति संजय चौहान भी खुश हैं, जो यहां से करीब 115 किलोमीटर दूर छोटे-से गांव मोगांवा में किराना दुकान चलाते हैं. चौहान ने कहा ‘हमारा दो साल का बेटा है. लेकिन अपनी नवजात बेटी को खोने के बाद हम एक बच्चा और चाहते हैं.’