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तीन तलाक को कॉमन सिविल कोड से न जोड़ें: रविशंकर प्रसाद

देश के भीतर लंबे समय से चले आ रहे तीन तलाक खत्म होने के बाद अब देश के भीतर एक कानून के मुद्दे पर उठने वाली बहस पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि तीन तलाक को कॉमन सिविल कोड से न जोड़ा जाए. वे कहते हैं कि नारी समानता का मुद्दा है. वे नारी न्याय और नारी गरिमा के साथ खड़े हैं.

रविशंकर प्रसाद रविशंकर प्रसाद
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 4:46 PM IST

देश के भीतर लंबे समय से चले आ रहे तीन तलाक खत्म होने के बाद अब देश के भीतर एक कानून के मुद्दे पर उठने वाली बहस पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि तीन तलाक को कॉमन सिविल कोड से न जोड़ा जाए. वे कहते हैं कि नारी समानता का मुद्दा है. वे नारी न्याय और नारी गरिमा के साथ खड़े हैं. वे साथ ही जोड़ते हैं कि मुस्लिम बहनों ने हिम्मत दिखाई है और वे उनके पीछे खड़े थे. मोदी जी खड़े थे देश खड़ा था. उन्हें इस बात का गर्व है कि राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री नहीं हैं. जो शाहबानो के मामले में झुक गए थे.

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एक कानून के मुद्दे पर रविशंकर प्रसाद का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर उनकी पार्टी के मैनिफेस्टो में साफ मत है. लेकिन लॉ कमीशन अभी उसके व्यापक चर्चा कर रहा है. वे इस मसले पर अधिक से अधिक चर्चा के पक्ष में हैं. हजारों लोगों  से बात हुई है. अधिकतर लोग समर्थन में हैं और कुछ लोग विरोध कर रहे हैं. लॉ कमीशन की रिपोर्ट पर वे व्यापक चर्चा करेंगे. राजनीतिक पार्टियों में बाकी लोगों से बातचीत करेंगे. वे उसके बाद फैसला करेंगे. कानून मंत्री होने के नाते उन्हें इस बारे में बोलना उचित नहीं है. हालांकि वे एक मोटी बात का जिक्र करते हैं कि अपराध के लिए सारे देश में एक ही कानून हो.  ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट एक है कि नहीं.

दो भाइयों के बंटवारे के लिए एक कानून है कि नहीं. चुनाव का कानून एक है कि नहीं. ऐसे बहुत से कानून है जो सब पर लागू हैं. किसी की पूजा पद्धति क्या होगी? यह सारे चर्चा के विषय महिला के अधिकारियों के बारे में बहस आगे बढ़ी है. बहुत सी चर्चा चल रही है. चर्चा के बीच में उनकी ओर से कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. इस बीच वे कहते हैं कि लॉ कमीशन कई मुद्दों पर विस्तार से और व्यापक चर्चा कर रहा है. भारत में ऐसे बहुत से कानून हैं. महिलाओं के अधिकार के विषय में भी बहुत सी चीजें हैं. वे उनका सम्मान करते हैं. कुछ बातें बेहद निजी हैं जो किसी समुदाय के बीच में अच्छी बात हो सकती हैं. यह सब चर्चा के विषय हैं. उनका बीच में टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. इस बीच वे कहते हैं कि यह 2017 का हिंदुस्तान है. भारत एक बड़ी ताकत बन रहा है. वे तीन तलाक का निर्णय को एक नई सुबह का आगाज करार देते हैं.

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