
रिजर्व बैंक अॉफ इंडिया कर्ज मामलों में कार्रवाई कर रहा है. इस मामले में रिजर्व बैंक ने तीन दर्जन से अधिक चार्टर्ड अकाउंटेंट जांच के घेरे में हैं. उन चार्टर्ड अकाउंटेंट पर आरोप है कि उन सभी ने प्रवर्तकों के साथ मिलकर बैंकों के कर्ज भुगतान में धोखाधड़ी करने और दबाव वाली संपत्ति का पुनर्गठन करने में मदद की है.
ऐसे समय में काफी संख्या में दबाव वाली कंपनियां ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता के अंतर्गत आ रही हैं, केंद्रीय बैंक ऐसी इकाइयों से जुड़े प्रमुख लोगों की भूमिका पर भी गौर कर रहा है.
सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक विभिन्न कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज फंसने के मामलों में 35 से 40 चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका पर गौर कर रहा है.
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साथ ही नियामक इस बात पर भी गौर कर रहा है कि क्या इन चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कर्ज नहीं लौटाने के लिए इकाइयों की गलत तरीके से मदद की और उन्हें फंसी संपत्ति के पुनर्गठन में सहायता की.
इस मामले में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) को ई-मेल के जरिए सवाल पूछे गए, लेकिन अब तक उनकी तरफ से इन सवालों पर कोई जवाब नहीं आया है. बता दें कि आईसीएआई विभिन्न मुद्दों पर रिजर्व बैंक के साथ मिलकर काम कर रहा है.
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जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाली कंपनियों के साथ संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने को लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट पर शिकंजा कसने की बात ऐसे समय सामने आई है जब कई दबाव वाली संपत्ति ऋण शोधन समाधान प्रक्रिया के दायरे में हैं.
जौहरियों नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक धोखाधड़ी की बात सामने आने के बाद बैंकों में एनपीए की समस्या सुर्खियों में है. आईसीएआई की एक उच्च स्तरीय समिति पीएनबी घोटाले की जांच कर रही है. उसका मकसद मामले में प्रणालीगत मुद्दों को समझना तथा उसमें सुधार के बारे में सुझाव देना है.