
रिजर्व बैंक ने एक बार फिर केन्द्र सरकार, इंडस्ट्री संगठनों और आम आदमी की उम्मीद के परे जाकर तिमाही मौद्रिक समीक्षा नीति में कड़ा रुख अपनाया. देश में महंगाई बढ़ने का खतरा और वैश्विक स्तर पर कमजोर संकेतों का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक प्रमुख रघुराम राजन ने ब्याज दरों में कोई कटौती करने से इंकार कर दिया है.
रघुराम राजन का मानना है कि आर्थिक सुधार की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है लेकिन महंगाई के खतरा अभी बरकरार है. जानिए किन कारणों से रिजर्व बैंक ने नहीं कम किया ब्याज दर .
ग्लोबल इकोनॉमी में मामुली सुधार, अमेरिकी नीति का इंतजार
रिजर्व बैंक का मानना है कि ग्लोबल इकोनॉमी के हालात में मामूली सुधार देखने को मिला है. भारत में भी कुछ सुधार देखने को मिल रहा है. वहीं खेतों में कटाई अच्छी होती है तो ग्रामीण इलाकों की मांग बढ़ सकती है, तो शहरों में मांग बढ़ने के संकेत हैं. लेकिन रिजर्व बैंक को सितंबर या फिर इस साल के अंत तक अमेरिका में ब्याज दरों में इजाफे का डर सता रहा है.
सभी बैंक ग्राहकों को दें पूर्व में हुई कटौती का फायदा
रिजर्व बैंक को अभी बैंकों द्वारा पूर्व में हुई कटौती को ग्राहकों तक बढ़ाने का इंतजार है. अब तक बैंक ने सिर्फ 0.3 फीसदी तक ही ब्याज सस्ता किया है. लोन डिमांड बढ़ने की उम्मीद है जिससे बैंकों को कर्ज सस्ता करना जरूरी हो जाएगा.
महंगाई दर को काबू में रखना पहली प्राथमिकता
महंगाई दर पर काबू करना और सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार की नीतियों पर नजर है. सरकारी खर्च, इकोनॉमी में बढ़ते निवेश और फेड के पॉलिसी एक्शन पर भी आगे की पॉलिसी एक्शन निर्भर रहेगी. जून में महंगाई दर ज्यादा थी, लेकिन जुलाई और अगस्त में महंगाई घटने की उम्मीद है.
खाद्य वस्तुओं की महंगाई का खतरा बरकरार
रिजर्व बैंक को डर है कि दलहन और तिलहन की कीमतों के बढ़ने से महंगाई बढ़ने का डर बरकरार है. बहरहाल कच्चे तेल के घटते दाम और ज्यादा बुआई के चलते महंगाई पर दबाव घटने की उम्मीद है. लिहाजा, बेहतर मॉनसून की उम्मीद और सरकारी नीतियों के चलते भी महंगाई पर कम दबाव देखने को मिल सकता है.
2015 में तीन बार हुई ब्याज दरों में कटौती
जनवरी से अब तक रेपो रेट में तीन बार कटौती की जा चुकी है. रिजर्व बैंक के गवर्नर दो बार सरप्राइज रेट कट कर चुके हैं. गौरतलब है कि 2 जून की मौद्रिक समीक्षा नीति में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई थी. उससे पहले 15 जनवरी को भी रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई थी. फिर 4 मार्च को भी आरबीआई ने 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी. लिहाजा इस साल में अबतक कुल 75 बेसिस प्वाइय यानी 0.75 फीसदी की कटौती ब्याज दरों में की जा चुकी है.
रेपो रेट और सीआरआर का मतलब
रेपो रेट मतलब वह रेट जिस पर बैंक अपनी जरूरत के लिए केन्द्रीय बैंक से कैश उधार लेता हैं. यह रेट फिलहाल 7.25 फीसदी है. साल 2015 के शुरुआत में यह 8 फीसदी था. वहीं कैश रिजर्व रेशो (सीआरआर) वह रकम जो किसी भी बैंकों को केन्द्रीय बैंक के पास जमा करानी होती है. मौजूदा समय में यह रेट 4 फीसदी पर स्थिर है.