Advertisement

नहीं कम होगी आपकी EMI, RBI ने ब्याज दरों पर टाल दी राहत

छठवीं मौद्रिक समीक्षा नीति में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने आम आदमी को किसी तरह की राहत का रास्ता बंद करते हुए रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया. चालू वित्त वर्ष की छठवीं मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने कहा कि देश के सामने ये चुनौतियां मौजूद हैं-

इन बातों से टल सकती है ब्याज दरों में कटौती इन बातों से टल सकती है ब्याज दरों में कटौती
राहुल मिश्र
  • मुंबई,
  • 08 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

छठवीं मौद्रिक समीक्षा नीति में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने आम आदमी को किसी तरह की राहत का रास्ता बंद करते हुए रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया. चालू वित्त वर्ष की छठवीं मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने कहा कि देश के सामने ये चुनौतियां मौजूद हैं-

मार्केट, एक्सपर्ट और ज्यादातर रिसर्च हाउसेज ने उम्मीद जताई थी कि रिजर्व बैंक अपनी छठवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर देश में ब्याज दरों को कम करने का रास्ता साफ कर सकता है.

रेपो रेट में कटौती की उम्मीद का सबसे अहम आधार दिसंबर में पिछली मौद्रिक नीति के बाद से देश रीटेल महंगाई का कम होना था. हालांकि रिजर्व बैंक ने माना कि देश की आर्थिक स्थिति के सामने वैश्विक चुनौतियां मौजूद हैं. लिहाजा नोटबंदी से खपत पर लगी चोट पर मरहम लगाने और खपत बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में अधिक कटौती के कयासों को सिरे से नकार दिया.

Advertisement

इन कारणों से रिजर्व बैंक ने टाला ब्याज दरों में कटौती का फैसला

1. अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की मजबूत होती कीमत. जनवरी 2014 में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से गिरकर जनवरी 2016 तक 30 डॉलर प्रति बैरल के नीचे पहुंच गई थी. एक बार फिर क्रूड ऑयल 53-55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर मजबूत हो रहा है जो कि भारत समेत दुनिया के लिए परेशानी का संकेत है.

2. अमेरिका की मौद्रिक नीति का 9 साल के बाद सामान्य होना. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्य़वस्था अमेरिका मंद 2008 से 2015 तक लगातार शून्य ब्याज दर रहने और अमेरिकी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में 12 ड्रिलियन डॉलर का राहत निवेश करने के चलते विदेशी निवेशक अमेरिका से बाहर रहे. अब एक बार फिर अमेरिका में ब्याज दर बढ़ना शुरू हुआ है.

Advertisement

3. क्रूड ऑयल की कीमतों में इजाफे के साथ ही वैश्विक स्तर पर मेटल और मिनरल की कीमतों में इजाफा होने की संभावना है. इन कीमतों में इजाफे से महंगाई बढ़ने का खतरा है.

4. नोटबंदी लागू होने के बाद रीटेल महंगाई नवंबर में 2.59 फीसदी के स्तर से गिरकर 2.23 फीसदी पर दिसंबर में पहुंच गई. यह नोटबंदी से हुआ लेकिन अगले कुछ महीनों में नई करेंसी का पूरा संचार हो जाने के बाद एक बार फिर महंगाई दस्तक दे सकती है.

5. रिजर्व बैंक ने जनवरी 2015 के बाद से रेपो रेट में 175 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. लेकिन इस कटौती के बावजूद बैंकों ने अपने ब्याज दरों को इसकी तुलना में कम करने का फैसला नहीं लिया है. लिहाजा, रेपो रेट में एक और कटौती से पहले भी बैंकों के पास अपने ब्याज दरों में कटौती करने की पूरी संभावना है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement