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मानसून की अनिश्चिता से रबी और खरीफ दोनों प्रभावित: आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक ने कृषि के प्रति चिंता जताते हुए कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि की वृद्धि कम रह सकती है क्योंकि मानसून की अनिश्चितता से रबी और खरीफ दोनों फसलों की संभावनाएं प्रभावित हुई हैं. अत्यधिक बारिश से कॉफी और धान का उत्पादन प्रभावित होने का अनुमान है.

पिछले साल की तुलना में घटेगी कृषि वृद्धि दर पिछले साल की तुलना में घटेगी कृषि वृद्धि दर
स्वाति गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 7:19 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक ने कृषि के प्रति चिंता जताते हुए कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि की वृद्धि कम रह सकती है क्योंकि मानसून की अनिश्चितता से रबी और खरीफ दोनों फसलों की संभावनाएं प्रभावित हुई हैं. अत्यधिक बारिश से कॉफी और धान का उत्पादन प्रभावित होने का अनुमान है.

वित्त वर्ष 2014-15 में कृषि और सहयोगी क्षेत्रों की वृद्धि दर 1.1 प्रतिशत रही जबकि उसके पिछले वित्त वर्ष वृद्धि 3.7 प्रतिशत थी. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2015-16 की पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए मंगलवार को कहा, ‘कुल मिलाकर 2015-16 की कृषि वृद्धि का मौजूदा परिदृश्य फिलहाल नरम दिखता है.’

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आरबीआई ने कहा कि खरीद फसल के उत्पादन में थोड़ी बढ़ोतरी तथा दक्षिण पश्चिम मानसूनी वर्षा में कमी के असर को कम करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप किये जाने से कृषि तथा सहायक गतिविधियों में मूल्य-वर्धन तेज हुआ. तीसरी तिमाही के संबंध में आरबीआई ने कहा कि पूर्वोत्तर मानसून की शुरुआत बहुत हल्की रही है लेकिन बाद में चक्रवाती बारिश से नमी बढ़ी है इसलिए भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुरूप मानसून में सुधार की संभावना है.

सरकारी आंकड़े के मुताबिक अक्टूबर से शुरू हुइ रबी फसलों की बुवाई का कुल दायरा 27 नवंबर तक 317.96 लाख हेक्टेयर रहा जो पिछले साल की इसी अवधि में 372.61 लाख हेक्टेयर था. रबी फसल - गेहूं, दलहन तथा तिलहन - जैसी प्रमुख फसलों की बुवाई पिछले साल के स्तर से कम है जिससे रबी उत्पाद में गिरावट के आसार है.

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दक्षिण पश्चिम मानसून में 15 प्रतिशत की कमी के कारण सरकार का अनुमान है कि कुल खरीफ अनाज उत्पादन 2015-16 फसल वर्ष (जुलाई से जून) में घटकर 12.40 करोड़ टन रहा जो इससे पिछले साल 12.63 करोड़ टन था.

इनपुट: भाषा

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