Advertisement

अनिल अंबानी को लोन चुकाने के लिए मिला 7 महीने का वक्त, कहा- भाई से हैं अच्छे रिश्ते

लोन के बोझ से दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को बैंकों से कर्ज की अदायगी करने के लिए सात महीने का समय मिल गया है. बैंकों ने रणनीतिक पुनर्गठन योजना को मंजूरी दे दी है.

अनिल अंबानी अनिल अंबानी
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2017,
  • अपडेटेड 9:59 PM IST

लोन के बोझ से दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को बैंकों से कर्ज की अदायगी करने के लिए सात महीने का समय मिल गया है. बैंकों ने रणनीतिक पुनर्गठन योजना को मंजूरी दे दी है. इसके तहत सात महीने तक कंपनी को ऋण की किस्त नहीं चुकानी होगी. कंपनी पर कुल 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज है.

कंपनी की क्रेडिट रेटिंग नीचे किए जाने के बाद आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी ने एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि सितंबर तक कारोबार की बिक्री के दो सौदों से मिले धन की मदद से कंपनी अपने कर्ज के बोझ को घटाकर 20,000 करोड़ रुपये पर लाया जाएगा. बैंकों ने कंपनी को एक दिन पहले इसके लिए दिसंबर तक की समय सीमा दी है.

अंबानी ने कहा कि इसके अलावा कर्ज को और कम करने के लिए कंपनी अपने वैश्विक कारोबार की रणनीतिक बिक्री पर विचार करेगी. अंबानी ने यहां संवाददाताओं से कहा, हमारी योजना को बैंकों ने स्वीकार किया है और उन्हें संयुक्त ऋणदाता मंच (जेएलएफ) का गठन किया है. रिलायंस कम्युनिकेशंस को इस प्रावधान (एसडीआर) के तहत सात महीने यानी दिसंबर, 2017 तक ऋण नहीं चुकाना होगा.

उन्होंने कहा कि बैंकों ने रणनीतिक बदलाव कार्यक्रम के तहत कंपनी द्वारा की गई प्रगति को संज्ञान में लिया है. इसमें विशेष रूप से भारत केंद्रित नई, स्वतंत्र वायरलेस कंपनी एयरकॉम की स्थापना, एयरसेल से किए गए करार और कनाडा की बु्रकफील्ड को टावर कारोबार करने वाली समूह की कंपनी रिलायंस इन्फ्राटेल की हिस्सेदारी बिक्री का सौदा शामिल है.

अंबानी ने कहा कि दोनों ही सौदों से हमारा ऋण का बोझ 25,000 करोड़ रुपये घट जाएगा. यह कुल ऋण का 60 प्रतिशत बैठता है. उन्होंने कहा कि घरेलू और विदेशी दोनों ऋणदाताओं ने कंपनी की योजना को स्वीकार किया है. शेष 20,000 करोड़ रुपये के कर्ज के बारे में पूछे जाने पर अंबानी ने कहा कि कंपनी इसके लिए अपने वैश्विक कारोबार की रणनीतिक बिक्री पर विचार करेगी.

अनिल अंबानी ने कहा कि उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी के साथ रिश्ते सौहादपूर्ण हैं और इस बारे में जो भी प्रतिकूल बातें की जा रही हैं वह सब अनावश्यक है. उनके बीच कारोबारी रिश्ते होने के बावजूद दूरसंचार क्षेत्र में कंपनियां अलग-अलग काम करती रहेंगी.

गौरतलब है कि करीब एक दशक पहले दोनों भाइयों ने पिता धीरूभाई अंबानी द्वारा स्थापित कारोबार को आपस में बांट लिया था. रिलायंस जियो और रिलायंस कम्युनिकेशंस के बीच रिश्ते के बारे में पूछे गये एक सवाल पर अनिल अंबानी ने कहा दोनों अलग-अलग कंपनियां हैं और यह स्थिति बनी रहेगी. उन्होंने कहा, हमारे बीच स्पेक्ट्रम, फाइबर, अंतर सर्किल रोमिंग, टावर और अन्य क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग रहेगा जिससे आपसी तालमेल होगा और लागत में बचत भी होगी, यह रणनीतिक कार्ययोजना है जो आगे भी जारी रहेगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement