
जमीन जायदाद क्षेत्र का शीर्ष निकाय नारेडको ने जीएसटी के तहत रीयल एस्टेट क्षेत्र पर 12 प्रतिशत कर लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि मकान की कीमतों पर मुद्रस्फीतिक दबाव नहीं पड़ेगा. संगठन ने यह भी कहा कि एक जुलाई से माल एवं सेवा कर के प्रभाव में आने से कर प्रभाव न तो खरीदारों और न ही डेवलपरों के लिये बढ़ेगा.
हालांकि नारेडको का यह बयान रीयल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों के संगठन क्रेडाई से अलग है. क्रेडाई ने राज्य सरकारों से जीएसटी के लागू होने के बाद इस क्षेत्र को विभिन्न स्तरों पर कर की मार से बचाने के लिए अचल संपत्ति पर स्टांप ड्यटी खत्म करने की अपील की है. उसने कहा कि जबतक सरकार जमीन पर एबेटमेंट (छूट) नहीं उपलब्ध कराती, खरीदारों पर लागत बढ़ेगी.
नारेडको और क्रेडाई के जीएसटी के प्रभाव को लेकर अलग-अलग आकलन से क्षेत्र में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में भ्रम की स्थिति का पता चलता है. नारेडको ने जहां कहा है कि जीएसटी के एक जुलाई से लागू होने के बाद मकान की कीमतों पर मुद्रस्फीतिक दबाव नहीं पड़ेगा. वहीं क्रेडाई ने कहा कि जबतक सरकार जमीन पर एबेटमेंट (छूट) नहीं उपलब्ध कराती, खरीदारों पर लागत बढ़ेगी.
नेशल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने कहा कि जीएसटी के तहत वास्तविक कर प्रभाव मौजूदा स्तर पर या उससे कम होगा. फिलहाल क्षेत्र पर जो कई अप्रत्यक्ष कर लगते हैं, उससे मुक्ति मिलेगी. नारेडको के चेयरमैन राजीव तलवार ने यहां संवाददाताओं से कहा, मकान की कीमतों पर कोई मुद्रास्फीति दबाव नहीं होगा.
जीएसटी परिषद ने खरीदारों को बेचने के लिये परिसर या इमारत के निर्माण पर 12 प्रतिशत कर का प्रस्ताव किया है. क्षेत्र पर मौजूदा अप्रत्यक्ष कर की दर भी 9 से 11 प्रतिशत के बीच है. इसमें सेवा कर और वैट शामिल हैं. डीएलएफ लि. के सीईओ तलवार ने हालांकि पट्टा मकसद से वाणिज्यिक संपत्ति के निर्माण के लिये जीएसटी दर पर स्पष्टता की मांग की.
नारेडको के अध्यक्ष प्रवीण जैन ने कहा कि कर प्रभाव न तो खरीदारों और न ही डेवलपरों के लिये बढ़ेगा. हालांकि क्रेडाई ने कहा कि जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद भी स्टांप शुल्क बना रहेगा. क्रेडाई के अध्यक्ष जे शाह ने एक बयान में कहा, स्टांप ड्यूटी के कारण अचल संपत्ति के मूल्य का रीयल एस्टेट पर अतिरिक्त बोझ 5 से 8 प्रतिशत के बीच होगा...जबतक जमीन पर एबेटमेंट नहीं दी जाती है, ग्राहकों की लागत बढ़ेगी. उन्होंने कहा, दूसरे क्षेत्रों में जीएसटी कुल अप्रत्यक्ष कर देनदारी है...लेकिन रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिसे ऐसा नहीं है क्योंकि जीएसटी व्यवस्था बहु कर की व्यवस्था को समाप्त नहीं करती.