
हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की नवनिर्वाचित सरकारों द्वारा किसानों की कर्जमाफी की घोषणा शपथ ग्रहण के चंद घंटे बाद ही कर दी गई. जिसके बाद असम सरकार ने कर्जमाफी की घोषणा की और गुजरात सरकार ने किसानों का बिजली बिल माफ करने की घोषणा की. लिहाजा यह सवाल उठना लाजमी है कि अब तक जिन सरकारों ने किसानों की कर्जमाफी की उसकी जमीनी हकीकत क्या है?
गौरतलब है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने कर्जमाफी की घोषणा की थी. पंजाब सरकार ने चरणबद्ध तरीके से कर्जमाफी शुरू भी कर दी. बता दें कि पंजाब में कुल 10.5 लाख किसान परिवार और 20 लाख लोग खेती से जुड़े हैं. राज्य के किसानों पर 80000 करोड़ रुपये का कर्ज है. कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में पंजाब के किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी का वायदा तो किया था लेकिन सरकार बनाते ही वह अपने वायदे से पलट गई और सिर्फ 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने की योजना शुरू की.
पंजाब सरकार अपने कार्यकाल के 21 महीनों के दौरान अब तक 4.27 लाख किसानों के 3586 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर चुकी है. जबकि योजना के लिए चयनित बाकी बचे 2,69752 से अधिक किसानों के कर्ज योजना के तीसरे और चौथे चरण में माफ किए जाएंगे.
खामियों से भरी है पंजाब सरकार की कर्जामाफी
पंजाब सरकार की ऋण माफी योजना विपक्ष के गले नहीं उतर रही. प्रमुख विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के मुताबिक जिन किसानों को ऋण माफी योजना के लिए चुना गया उनकी संख्या काफी कम है. क्योंकि ज्यादातर किसानों के कर्ज की राशि दो लाख रुपये से अधिक है. विपक्ष के मुताबिक पंजाब सरकार की ऋण माफी योजना कई खामियों से भरी पड़ी है. सरकार सिर्फ सहकारी और राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए गए कर्ज ही माफ कर रही है. जबकि ज्यादातर किसानों ने निजी साहूकारों से कर्ज लिया है. जिसे माफ करने की फिलहाल कोई योजना सरकार के पास नहीं है.
अकाली दल के प्रवक्ता और महासचिव डॉ दलजीत चीमा के मुताबिक राज्य की कांग्रेस सरकार ने ऋण माफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा किया है.
दो लाख रुपये तक का कर्ज हो रहा माफ
उधर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सरकार ने खराब माली हालत के चलते किसानों के उस वर्ग को चुना, जिसमें से ज्यादातर लोग खुदकुशी कर रहे थे. राज्य सरकार अब तक दो चरणों में 4.27 लाख किसानों के कर्ज माफ कर चुकी है. राज्य सरकार ने कर्जमाफी के लिए मौजूदा बजट में 14734 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जिसमें से 3586 करोड़ रुपए खर्च जा चुके हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता जगपाल सिंह अबुलखुराना के मुताबिक सरकार शुरुआत में 2 लाख रुपये तक के ऋण माफ करेगी और उसके बाद उससे अधिक कर्ज वाले किसानों के ऋण माफ करने पर विचार करेगी.
फसली ऋण माफी किसानों के हित में नहीं
उधर कृषि और आर्थिक मामलों के जानकार, इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार कर्जमाफी को सही नहीं मानते. उनका मानना है कि किसानों को साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए उनके लिए पेंशन और सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं शुरू करने की जरूरत है. ताकि वह जरूरत पड़ने पर सहूकारों या बैंक से कर्ज न लें.
प्रोफेसर प्रमोद कुमार के मुताबिक किसानों के कर्ज माफ करने से उनका कोई भला नहीं होने वाला. क्योंकि किसानों की आय लगातार गिर रही है और जब तक उनकी आय दोगुनी नहीं होती, तब तक वह कर्ज़ लेने को मजबूर होते रहेंगे.