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अचानक क्यों उमड़ने लगा डोनाल्ड ट्रंप का 'मुस्लिम प्रेम'?

विशेषज्ञ ट्रंप के इस कथित बदलाव को शक की निगाह से देख रहे हैं. उनका कहना है कि ट्रंप के मुस्लिम प्रेम के पीछे स्वार्थ छिपा हुआ है. वो अपनी सत्ता बचाने और रूस विवाद से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए अपने रुख से उलट मुस्लिम प्रेम जताकर दुनिया को गुमराह कर रहे हैं.

रियाद में डोनाल्ड ट्रंप रियाद में डोनाल्ड ट्रंप
राम कृष्ण
  • रियाद,
  • 22 मई 2017,
  • अपडेटेड 2:03 PM IST

मुस्लिमों के खिलाफ हमेशा जहर उगलते आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अचानक मुस्लिम प्रेम जाग्रत होने से सिर्फ इस्लामी जगत ही नहीं, बल्कि अमेरिका के लोग भी हैरान हैं. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ट्रंप इस कदर बदल जाएंगे. हालांकि विशेषज्ञ ट्रंप के इस कथित बदलाव को शक की निगाह से देख रहे हैं. उनका कहना है कि ट्रंप के मुस्लिम प्रेम के पीछे स्वार्थ छिपा हुआ है. वो अपनी सत्ता बचाने और रूस विवाद से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए अपने रुख से उलट मुस्लिम प्रेम जताकर दुनिया को गुमराह कर रहे हैं.

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अमेरिकी मीडिया का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल की जांच कर रहे जेम्स कोमी को FBI डायरेक्टर पद से हटाकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरो को अहम खुफिया जानकारी देकर ट्रंप बुरी तरह फंस चुके हैं. वे सवालों से बचने के लिए ही विदेश दौरे पर निकले हैं. दुनिया के छह मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले डोनाल्ड ट्रंप के पास मुस्लिम नेताओं को साधने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था.

मुस्लिम रीति रिवाजों से भी घुलने-मिलने की कोशिश
अमेरिकी राष्ट्रपति ने न सिर्फ मुस्लिम देश सऊदी अरब से अपने पहले विदेशी दौरे की शुरुआत की, बल्कि वहां पहुंचकर मुस्लिम रीति-रिवाजों से घुलने-मिलने की भी पूरी कोशिश की. उनके साथ उनकी बेटी और पत्नी भी गई हुई हैं. रविवार को पहली 'अरब इस्लामिक अमेरिकी समिट' को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ लड़ाई नहीं है, बल्कि अच्छाई और बुराई के बीच लड़ाई है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों को इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना चाहिए. इस समिट में पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत 55 मुस्लिम देशों के नेताओं ने शिरकत की.

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एक झटके में तस्वीर बदलने की ख्वाहिश
ट्रंप की ओर से मुस्लिम देशों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, सीरिया पर हमले करने और अफगानिस्तान में सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराने से मुस्लिम राष्ट्रों में जबरदस्त आक्रोश था, जिसको खत्म करने लिए ट्रंप ने सऊदी में 'अरब इस्लामिक अमेरिकी समिट' मंच का इस्तेमाल किया. वे अपने भाषण में मुसलमानों के प्रति हमदर्दी दिखाते नजर आए. जानकारों का कहना है कि ट्रंप ने अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को एक झटके में बदलने के लिए शानदार कोशिश की. वे इस मामले में अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों को भी पछाड़ते नजर आ रहे हैं. वैसे भी ट्रंप किसी भी काम को एक झटके में करने में विश्वास करते हैं. ट्रंप ने बिना अनुभव के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत हासिल की और फिर मुसलमानों के खिलाफ धड़ाधड़ फैसले लिए.

पहली विदेश यात्रा को सफल बनाने की कठिन परीक्षा
ट्रंप के अमेरिका से रवाना होने के बाद से यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या वह अपने पहले विदेशी दौरे को सफल बना पाएंगे? वह लगातार अमेरिका मीडिया के निशाने पर हैं. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति अगर सफल होते हैं, तो निश्चित रूप से अमेरिका पहुंचने पर उनको विवादों से थोड़ी राहत मिलेगी. वर्ना वापस लौटने पर उनको अपने पद को बचाए रखने की चुनौती से भी जूझना होगा. आमतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति अपने पहले विदेशी दौरे के लिए कनाडा या मैक्सिको जैसे पड़ोसी देशों का चुनाव करते हैं, लेकिन ट्रंप ने इससे हटकर यह फैसला लिया है. अमेरिकी मीडिया में यह भी कहा जा रहा है कि ट्रंप तीन धर्मों की तीर्थयात्रा में जा रहे हैं. सवाल ये है कि क्या इन तीर्थयात्राओं से उनकी समस्याएं कम होंगी.

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