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मोदी को रोकने के लिए सपा, RJD, JDU समेत 5 पार्टियों का होगा विलय!

हो सकता है कि आज के बाद आप मुलायम सिंह यादव को सपा अध्यक्ष और लालू यादव को आरजेडी प्रमुख के रूप में न जानें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में मजबूत होती बीजेपी को रोकने के लिए जनता दल के पुराने साथी न सिर्फ साथ आ सकते हैं, बल्कि अपनी पार्टियों का विलय भी कर सकते हैं.

Nitish Lalu Nitish Lalu
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

हो सकता है कि आज के बाद आप मुलायम सिंह यादव को सपा अध्यक्ष और लालू यादव को आरजेडी प्रमुख के रूप में न जानें.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में मजबूत होती बीजेपी को रोकने के लिए जनता दल के पुराने साथी न सिर्फ साथ आ सकते हैं, बल्कि अपनी पार्टियों का विलय भी कर सकते हैं. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को पार्टी के विलय की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

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इतना ही नहीं मुलायम तय करेंगे कि पार्टी का मकसद और एजेंडा क्या होगा. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने कहा, 'मुलायम जी इस पर काम करेंगे.' महागठबंधन के लिए नई दिल्ली में मुलायम के आवास पर इसकी पहली बैठक हो चुकी है. बताया जा रहा है कि इसका नाम समाजवादी जनता दल सोचा गया है. जिन पार्टियों के विलय की संभावना है उसमें मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी, लालू यादव की आरजेडी , ओम प्रकाश चौटाला की आईएनएलडी, नीतीश कुमार की जेडीयू और देवगौड़ा की जेडीएस हैं.

मुलायम होंगे पार्टी का चेहरा!
अखबार ने लिखा है कि गुरुवार को इन पार्टियों के नेता नई दिल्ली में मुलायम सिंह के घर पर मिलेंगे और विलय के प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए एक पार्टी बनाने का ऐलान करेंगे. इस बैठक में ये नेता विलय की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए एक समयसीमा भी तय करेंगे. संभव है कि मुलायम सिंह नई पार्टी के नेता बनाए जाएं, जबकि शरद यादव, नीतीश कुमार, अभय चौटाला और देवगौड़ा को दूसरे अहम पद दिए जाएं.

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BJD और RLD नहीं होंगी शामिल!
चौधरी अजित सिंह की पार्टी आरएलडी और नवीन पटनायक की बीजू जनता दल इस नए प्रयोग से दूरी बनाए रखेंगी. जाट राजनीति नेतृत्व को लेकर अजित सिंह और चौटाला परिवार में लंबे समय से तनाव है और दोनों पार्टियों में जाटों को अपनी ओर करने की खींचतान चलती रही है. जनता परिवार से अलग हुई और इसमें शामिल न होने वाली दूसरी पार्टी बीजेडी ओडिशा में लंबे समय से सत्ता में है और फिलहाल बीजेपी उसके लिए बड़ी चुनौती नहीं बनी है.

बताया जा रहा है कि नई पार्टी का गठन होते ही पूरे देश में बड़े पैमाने पर मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाने की योजना है. सरकार के खिलाफ आंदोलन में नई पार्टी कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों से साथ आने की अपील करेगी. खास बात यह है कि विलय के बाद नई पार्टी के पास राज्यसभा में कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा सांसद होंगे और इससे बीजेपी और केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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