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पति-पत्नी को धोखा देने का औजार बना इंटरनेट

पति-पत्नी को धोखा देने के औजार के रूप में उभर रहा है इंटरनेट. पुरुष और महिलाएं खुलकर कर रहें हैं इसका ऐसा इस्तेमाल. जानें भारत में किस तरह से हो रही है बेवफाई.

गायत्री जयरामन
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2014,
  • अपडेटेड 3:27 PM IST

अमेरिका में रह रहे डीजेलव अभी कुंआरे थे और वहां एक आइटी कंपनी में नौकरी कर रहे थे. उन्हें वहां ग्रीन कार्ड मिलने ही वाला था. लेकिन तभी बुढ़ापे का दर्द झेल रही उनकी मां ने उनसे वापस लौटने के लिए कहा. वे मां की बात टाल नहीं पाए. इसके बाद उनकी मां ने चाहा कि वे शादी कर लें. वे राजी हो गए. फिर मां की इच्छा हुई कि वे पिता बनें. वे बच्चे के पिता भी बन गए. लेकिन पत्नी के साथ उनकी अनबन शुरू हो गई और दोनों ने तलाक लेने की बात सोच ली.

ऐसा करने से परिवार की प्रॉपर्टी का बंटवारा हो जाता और इसे देखते हुए उनसे कहा गया कि वे तलाक न लें, और हर बार की तरह वे मान गए. मैंने कहा, आप इस तरह के आदमी लगते हैं जो टकराव से बचना पसंद करता है. उन्होंने मुस्कराते हुए जवाब दिया, ‘‘मेरी बीवी और मैं, दोनों ही भले लोग हैं. हमने सोचा कि आखिर क्यों लड़ाई-झगड़ा किया जाए. इस तरह आप धीरे-धीरे बदला लेने वाला इंसान बन जाते हैं.’’

उनकी बात सुनकर लगता है, जैसे यह जिलियन फ्लिन की किताब पर आधारित डेविड फिंचर की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म गॉन गर्ल से निकला विचार हो. लेकिन ऐसा नहीं है.

सोमवार का दिन है. शाम के छह बज रहे हैं. मुंबई के कार्टर रोड कॉफी डे में हैं. मोबाइल पर संदेश आता हैः ‘‘मैं पहुंच चुका हूं.’’ डीजेलव समय से 15 मिनट पहले हैं. इस 40 वर्षीय शख्स को उस फोटोग्राफ से पहचाना जा सकता है, जो उन्होंने बेवफाई से जुड़ी नई वेबसाइट एशले मैडिसन इंडिया पर भेज रखी थी. सफाचट खोपड़ी, एकदम नई दिखने वाली धारीदार शर्ट, कम-से-कम दो तरह के कोलोन, जिनकी सुगंध एक-दूसरे से टकरा रही है.

वे अपने लैपटॉप के साथ बैठे हैं. थोड़े नर्वस मालूम हो रहे हैं. वे नाम नहीं पूछते हैं, न ही मैं बताती हूं. हम दोनों हाथ मिलाते हैं. वे जानना चाहते हैं कि क्या मुझे उनके शादीशुदा होने के बारे में पता है. साथ ही वे यह भी जानना चाहते हैं कि मैं सिर्फ एक रात के लिए उनके साथ हूं या लंबे समय का संबंध रखना चाहती हूं.

सही जवाब है, ‘‘न ही एक रात का, न ही लंबे समय का. हो सकता है कुछ दिनों का हो. आगे देखते हैं.’’ एक रात का मतलब होगा पैसों का लेन-देन. और लंबे समय का मतलब शादी का बंधन हो सकता है. मेरी प्रोफाइल एक हफ्ते पुरानी है,  जो रिसर्च के लिए तैयार की गई है और जिसकी जानकारी उन्हें नहीं है. वे बताते हैं कि वे चार महीने से इस साइट पर हैं. अब तक उनका ‘‘अनुभव’’ खराब रहा है. उनकी प्रोफाइल क्रेग्सलिस्ट पर भी है.

वे बताते हैं, ‘‘मैं बहुत-सी महिलाओं के साथ समय नहीं बिताना चाहता. मैं ऐसी लड़की की तलाश कर रहा हूं, जिससे मेरे मन के तार जुड़ सकें.’’ वे सेल्स की नौकरी में हैं, जिससे उन्हें सारा दिन सफर करना पड़ता है. दफ्तर में बैठने की बंदिश नहीं है. वे आंखों ही आंखों में जैसे जानना चाहते हैं कि क्या मैं उनका इशारा समझ रही हूं. वे कहते हैं, ‘‘इस साइट पर आम तौर पर महिलाएं साफ बात करना पसंद करती हैं.’’ वे ऑनलाइन या किसी सार्वजनिक जगह पर पहचाने जा सकते हैं जिससे उनकी शादी टूट सकती है, फिर वे ऐसा कर रहे हैं तो इसकी वजह क्या है?

उनके मुताबिक, किसी अजनबी को अपनी कहानी बताने में कोई हर्ज नहीं है. वे कहते हैं, ‘‘आज हर कोई ऐसा कर रहा है.’’ वे काफी संतुष्ट नजर आते हैं. वे बताते हैं कि इस साइट पर महिलाओं की क्वालिटी बहुत अच्छी है-पढ़ी-लिखी, विवाहित, नौकरीपेशा. ऐसी महिलाएं जिनका मन अपनी शादी और मतलबपरस्त दोस्तों से भर चुका है. इसलिए झूठ-मूठ का दिखावा करना ठीक नहीं है. कभी-कभी क्वालिटी गिर भी जाती है. कुछ लड़कियां चौट नहीं करती हैं. वे बस एक लाइन का संदेश भेज देती हैं. पुरुष ऑनलाइन बने रहने के लिए पैसे भरते हैं. ‘‘मैं नहीं समझता कि ऑनलाइन हुए बिना कोई महिला मुझ में दिलचस्पी लेगी.’’ अब कुछ उम्मीद तो जगी ही है.

आठ साल पहले विवाह बंधन में बंधे क्वाइहो को पहाड़ों पर जाना, चाय पीना और पॉप संगीत बेहद पसंद है. वे एक ऊंचे पद वाले एग्जीक्यूटिव हैं जो कभी-कभी किसी लड़की के साथ फिल्म देखना पसंद करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘अब मैं अपनी जिंदगी में नई चिनगारी पैदा करना चाहता हूं. मेरी रोजमर्रा की जिंदगी नीरस हो गई है, जिसमें कोई मजा नहीं रहा है. क्या हम मिल सकते हैं?’’

डीजेलव और क्वाइहो अकेले नहीं हैं. हाल ही में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बंगलुरू, चेन्नै, हैदराबाद और दूसरे छोटे शहरों के 65,000 सदस्यों वाले एशले मैडिसन ने भारत में विवाहेतर संबंधों पर कराए गए सर्वे में पाया कि शादीशुदा 87 फीसदी महिलाओं और 81 फीसदी पुरुषों ने अवैध संबंध रखने का दावा किया है. सिर्फ 81 फीसदी पुरुष अपने संबंधों को गुप्त रख पाए थे, जबकि 92 फीसदी महिलाएं अपने संबंध गुप्त रख रही थीं. सर्वे में पाया गया कि 76 फीसदी विवाहित महिलाएं इसे अनैतिक नहीं मानती और 47 फीसदी संबंध कारोबारी दौरों पर हुए. 62.3 फीसदी पुरुषों और 51.8 फीसदी महिलाओं के विवाहेतर संबंध उनके वर्कप्लेस पर बने.

कंपनी के यूरोपीय कम्युनिकेशन डायरेक्टर क्रिस्टोफर क्रेमर कहते हैं, ‘‘जो लोग शादीशुदा जिंदगी में रहने के बावजूद विवाहेतर संबंध बनाए रखते हैं, उनकी संख्या करीब 95 फीसदी है. जाहिर है, इसके लिए एक विशाल बाजार है.’’ वे कहते हैं कि कंपनी जिन देशों में काम कर रही है, वहां नैतिकता की बात को कोई तवज्जो नहीं देती है.

जहां अवैध संबंध कोई नई बात नहीं है और कुछ शादीशुदा लोग अविवाहित होने का स्वांग रचकर मैट्रीमोनियल या डेटिंग साइटों पर अपना प्रोफाइल दर्ज कराते हुए पाए गए हैं, वहीं एशले मैडिसन ऐसी पहली साइट है जो खुलेआम इस तरह के संबंधों को स्वीकार करती है. उसका नारा है-‘‘चार दिन की जिंदगी है. संबंध बना लो.’’ सीधा कहें तो यह एक ऐसा मंच है जो वैवाहिक संबंधों में बंधकर नहीं रहना चाहते हैं.

भारत में अवैध संबंधों पर पुराने पड़ चुके कानून आइपीसी की धारा 497 के तहत केवल पुरुष ही जिम्मेदार हैं और शिकायतकर्ता कोई दूसरा पुरुष ही हो सकता है. इस कानून को बदलने की बात काफी समय से लंबित है. सुप्रीम कोर्ट भी 2011 में कह चुका है कि यह पुरुषों के प्रति पूर्वाग्रहग्रस्त है. विवाह कानून (संशोधन) 1976 के तहत विवाहेतर संबंध तलाक का आधार है. हालांकि इस बात की संभावना कम ही है कि इस वेबसाइट को विवाहेतर संबंधों को बढ़ावा देने का जिम्मेदार ठहराया जाए, लेकिन देश में इस बारे में कानून अब भी स्पष्ट नहीं है.

भारतीय संस्कृति को लेकर भी स्पष्टता नहीं है. इंदौर में लॉन्च के मौके पर एक युवा पत्रकार नैतिकता के अभाव को लेकर उन पर गुस्सा जाहिर करने लगा. फिर भी एशले मैडिसन का तर्क है कि जीवनसाथी के प्रति ईमानदारी औपनिवेशिक साम्राज्य से आयातित चीज है. ब्रिटिश साम्राज्य ने कैथोलिक मिशनरियों को यहां भेजा, जिन्होंने इस तरह की नैतिकता को बल दिया.

जिस हफ्ते ‘‘सेलिंग वॉयलेट्स’’ बनाया गया, उसके बाद से पुरुषों की ओर से 68 से ज्यादा ईमेल, ऑनलाइन इमेजों के लिए 154 एक्सेस की, 34 अनचाहे निजी फोटोग्राफ और 181 विंक प्राप्त हो चुके हैं. उनमें से किसी ने भी गूगल पर पहचान का पता लगाने की कोशिश नहीं की और न ही यह जानने की चिंता की कि दूसरी ओर बैठी महिला कोई मित्र, सहकर्मी या परिवार की सदस्य हो सकती है.

बहुत कम लोगों ने अपना चेहरा छिपाया जबकि साइट पर चेहरा छिपाने का विकल्प मौजूद था. कैलिफोर्निया के सदस्य 50 शेड्सऑफग्रे, जिन्होंने हाल ही में अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई आने पर इस सेवा का इस्तेमाल किया था, हंसते हुए कहते हैं, ‘‘चोरों में भी सम्मान का भाव होता है.’’ उनसे मेरी मुलाकात स्टारबक्स में हुई थी.

उनके मुताबिक, ‘‘यह विवेक पर काम करता है. मैं जानता हूं कि आप उसी मकसद से ऑनलाइन हैं, जिस मकसद से मैं हूं. इसलिए हम एक-दूसरे को बचाते हैं.’’ एक बार वे ऑनलाइन अपनी किसी परिचित महिला से मिल गए थे, लेकिन पता लगते ही वे चुपके से निकल लिए. वह महिला अब भी नहीं जानती कि उन्हें उसके बारे में पता है. 50 शेड्सऑफग्रे बताते हैं कि उनकी शादी 16 साल पहले हुई थी. उनकी कोई संतान नहीं है.

वे साल में छह महीने भारत में किसी फाइवस्टार होटल में रहते हैं. यह साइट सेक्स के साथ-साथ लोगों को पार्टियों, फिल्म देखने या क्लब में साथ देने के लिए भी आपस में मिलाती है. वे पूछते हैं, ‘‘क्या आप जिम के लिए नए शॉर्ट्स खरीदने में मेरी मदद करेंगी?’’ क्या पता, अगर वे किसी ऐसी लड़की से मिले होते, जिसके साथ सचमुच संबंध होता, तो आगे बहुत कुछ संभव था. वे ऐसी महिलाओं से मिलते हैं, जो या तो शादीशुदा होती हैं और अपने साथी को धोखा दे रही होती हैं, या कुंआरी होती हैं.

वे कहते हैं कि अगर उनकी पत्नी भी ऑनलाइन मिल जाए तो वे फैसला नहीं कर पाएंगे. मैंने पूछा कि क्या आपको इस बारे में उनसे बात नहीं करनी चाहिए? वे कहते हैं, बिल्कुल नहीं. कई बार आपको शादी का नाटक बनाए रखना पड़ता है. ‘‘क्योंकि आप उसे खत्म कर देंगे तो क्या बचेगा?’’

ऑनलाइन स्पेस अब ऐसा मंच मालूम होता है जहां सामाजिक वर्जनाएं, जो परंपरागत भारतीय विवाहों को संचालित करती हैं, टूटने की बजाए उलटा रास्ता अपना रही हैं. महिलाएं नहीं, बल्कि पुरुष खुद को ज्यादा साज-संवारकर साइट पर डालते हैं. वे गठीली मांसपेशियों के साथ अपने शरीर का प्रदर्शन करते हैं और महिलाओं को लुभाने का प्रयास करते हैं. पुरुष और महिलाएं, दोनों ही सेक्स के बारे में अपनी पसंद और नापसंद के अलावा बॉन्डेज से लेकर दर्द में यौन सुख पाने तक के बारे में खुलकर बात करते हैं.

अवैध संबंध उन लोगों के लिए सुकून का एक विकल्प है, जो शादी के बंधन में खुद को कैद पाते हैं और शादी उन्हें किसी दूसरे के साथ सेक्स का आनंद लेने से रोकती है. साड़ी पहनने वाली बंगलुरू की 36 वर्षीया सेनोरीटा14, जो कहती हैं कि वे जैसी दिखती हैं, वैसी नहीं हैं, स्वीकार करती हैं कि उनका अपना एक गुप्त आशियाना है. वे औरतों को पसंद करने वाली महिला के तौर पर खुद को वेबसाइट पर पेश करती हैं. वे ‘‘प्रबल’’ और ‘‘जोशीला सेक्स’’ पसंद करती हैं.

वे अपनी इस इच्छा को अपने पति के सामने व्यक्त नहीं कर पातीं. इस साइट पर उनकी तरह ही नागपुर जैसे छोटे शहर से भी सदस्य मौजूद हैं. एशले मैडिसन के मुताबिक, भारत में ऑनलाइन साथी के रूप में किसी महिला की तलाश करने वाली शादीशुदा महिलाओं और साथी के रूप में किसी पुरुष की तलाश करने वाले शादीशुदा पुरुषों का प्रतिशत क्रमशः 9 और 6 फीसदी है, जबकि दुनिया में यह औसत 4 फीसदी है.

मुंबई की 36 वर्षीया विवाहित महिला पिक्स28एफ ‘‘टु माइ हस्बेंड्स वर्ल्ड्’’ पर आवेदन करने वालों का स्वागत करती हैं. वे अपने ‘‘मास्टर’’ पति के लिए किसी महिला पार्टनर की तलाश कर रही हैं, जो उन्हें ज्यादा जोशीला, रोमांटिक और लंबे समय तक टिकने का तरीका सिखा सके.

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से जुड़ी कपल थेरेपिस्ट चेतना दुग्गल ऐसे नए तरीकों का अध्ययन कर रही हैं, जिनमें शादीशुदा जीवनसाथी अपने संबंधों को तय कर सकें. वे कहती हैं, जहां कुछ लोग अवैध संबंधों की घटनाओं का इस्तेमाल अपने वैवाहिक जीवन को पटरी पर लाने में करते हैं, वहीं कुछ लोग इसका इस्तेमाल शादी में खुलेपन के लिए करते हैं या अलग होने के लिए करते हैं.

वे कहती हैं, ‘‘विवाहेतर संबंधों को लेकर साइट्स पर ज्यादातर जानकारियां उनके सदस्यों के बीच कराए गए ऑनलाइन सर्वे पर आधारित होती हैं. इसलिए व्यापक संदर्भ में इसका निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है. मैं यह कह सकती हूं कि अलग-अलग दंपती अपने विवाहेतर संबंधों को अलग-अलग तरह से निभाते हैं.’’

दुग्गल कहती हैं कि आज के दंपतियों के पास पहले से ज्यादा विकल्प हैं और इसकी कई वजहें हैं. आज रोजगार के ज्यादा मौके हैं और महिलाएं आर्थिक रूप से ज्यादा सशक्त हो चुकी हैं. साथ ही सामाजिक और सांस्कृतिक नियम भी बदल रहे हैं. संवादहीनता, यौन और भावनात्मक संबंधों का अभाव, आपसी हितों और जीवन के लक्ष्यों में मेल न बैठना जैसे कई कारण हैं, जो पति या पत्नी को धीरे-धीरे विवाहेतर संबंधों की ओर ले जाते हैं.

विवाहेतर संबंध अब सिर्फ उन लोगों तक सीमित नहीं रह गए है जो लंबे समय से शादी के बंधन में घुटन का अनुभव कर रहे हैं. इस साइट पर युवा, नवविवाहित पुरुष और महिलाएं भी बड़ी संख्या में हैं, जो अलग अनुभव लेना चाहते हैं. 31 वर्षीय डार्कस्टॉलन शादीशुदा हैं और एक म्युचुअल फंड कंपनी में काम करते हैं. वे दिन में पांच-पांच संदेश भेजते रहते हैं. उन्हें उम्रदराज और अनुभवी महिलाओं का साथ पसंद है. यह बात आप अपनी बीवी से नहीं कर सकते हैं. लेकिन इसमें चोरी-चोरी संबंध बनाने और रोमांस का मजा है.

मुंबई की क्लिनिकल मनो-चिकित्सक सोनाली गुप्ता का मानना है कि निश्चित रूप से वर्कप्लेस पर अवैध संबंधों, भावनात्मक संबंधों की घटनाएं बढ़ी हैं और ‘‘साइबरविधवाओं’’ की संख्या में इजाफा हुआ है. वे इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि एशले मैडिसन के सर्वे को पूरी तरह से स्वीकार किया जा सकता है. सोनाली गुप्ता का मानना है कि वर्कप्लेस पर अवैध संबंधों की संख्या ज्यादा है, लेकिन उतनी ज्यादा भी नहीं है जितनी सर्वे में बताई जा रही है.

हां, भावनात्मक स्तर पर बेवफाई जरूर बढ़ी है और यही बेवफाई कभी-कभी शारीरिक अंतरंगता में तब्दील हो जाती है. ऐसे दंपती भी हैं जो महसूस करते हैं कि उनका जीवनसाथी ऑनलाइन बातचीत पर बहुत ज्यादा समय गुजारता है. इसीलिए ‘‘साइबरविधवा’’ का शब्द वजूद में आया है. कभी-कभी यह मन का गुबार निकालने का जरिया भी हो सकता है, जिसके बाद पति और पत्नी संबंधों का नया अर्थ खोज सकते हैं.

गॉन गर्ल में फ्लिन लिखते हैं, ‘‘यह बहुत मुश्किल दौर है, जिसमें इनसान का असली चेहरा पता करना बहुत कठिन है.’’ और यह बिल्कुल सही है कि जीवनसाथी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का यह नाटक ही है, जो ऑनलाइन विवाहेतर संबंधों को बढ़ावा दे रहा है. यह कहना ठीक है कि हां, मुझे एक खास किस्म का शरीर चाहिए. ऐसा कहना समाज में खुलेआम संभव नहीं है. एशले मैडिसन के सर्वे के मुताबिक, 78 फीसदी महिलाएं और 71 फीसदी पुरुष अवैध शारीरिक संबंधों में शारीरिक विशेषताओं को पसंद करते हैं.

67 फीसदी पुरुषों और 74 फीसदी महिलाओं के लिए यह कद-काठी का आकर्षण है. सभी पुरुषों में तोंदुल से लेकर रोएंदार और सभी महिलाओं में नॉन-मॉडल से लेकर बिना तड़क-भड़क वाली तक में इस बात की चिंता नहीं होती है कि जैसे वे प्रोफाइल पिक्चर में दिखते हैं, असल में वैसे ही दिखते हैं या नहीं. प्रीटीवूमेन76 कहती हैं, ‘‘जब आप शादी करते हैं तो हर कोई परिवार के दबाव में आ जाता है.

जब कोई मोटा और भद्दा दिखता हो तो आप कहते हैं कोई बात नहीं, ठीक है. फिर बाद में आप अपनी अधूरी इच्छाएं ऑनलाइन पर पूरी करने की कोशिश करते हैं. जब आप कोई विवाहेतर संबंध बनाते हैं तो मन की इच्छाएं दबाने का नाटक नहीं करते हैं. आप अपनी पसंद के साथी को चुनते समय उसकी लंबाई, उम्र, सेक्स का गुण आदि देखते हैं.’’

पुरुष अपनी पसंद की महिला, जो बिना किसी हिचक के उन्हें यह बता सकती है कि उसे क्या चाहिए, को पाकर खुश हो जाते हैं और संदेशों की झड़ी लगा देते हैं. जाहिर है, सामाजिक वर्जनाओं से मुक्त मंच ऐसे लोगों के लिए सुरक्षित घर बनता जा रहा है. इस साइट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आपका एक ही जाति, सामाजिक बिरादरी, वर्ग या पेशे का होना जरूरी नहीं है. कोई भी आपका साथ दे सकता है. इस तरह की मुलाकातों में बिला शक एक तरह का रोमांच छिपा है. आप अचानक बनने वाले संबंधों में शायद सच्चे रोमांस का सुख प्राप्त कर सकते है.

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