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एक साल की मोदी सरकार से तुरंत फल की उम्मीद करना ठीक नहीं: शंकराचार्य

केंद्र में काबिज नरेंद्र मोदी सरकार के एक साल के कामकाज पर अलग-अलग धर्मो से जुड़े धर्मगुरुओं और धर्माचार्यो ने संतुलित प्रतिक्रिया व्यक्त की है. ज्यादातर धर्मगुरुओं ने मोदी सरकार के काम की तारीफ की.

पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 25 मई 2015,
  • अपडेटेड 10:48 AM IST

केंद्र में काबिज नरेंद्र मोदी सरकार के एक साल के कामकाज पर अलग-अलग धर्मो से जुड़े धर्मगुरुओं और धर्माचार्यो ने संतुलित प्रतिक्रिया व्यक्त की है. ज्यादातर धर्मगुरुओं ने मोदी सरकार के काम की तारीफ की.

धर्मगुरुओं का मानना है कि सरकार अच्छा काम कर रही है, अपेक्षित रिजल्ट और बदलाव के लिए इसे पर्याप्त समय देने की दरकार है. हालांकि कुछ धर्माचार्यो की नजर में सरकार का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा. काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती मोदी सरकार के एक साल के कामकाज के मुद्दे पर कहा कि मोदी की विदेश नीति व आंतरिक नीति दोनों ठीक है और यह देश के सर्वागीण विकास के अनुकूल भी है.

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जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा, सालभर के पौधे से तुरंत फल की कामना करना ठीक नहीं. मोदी की कार्यप्रणाली और नीतियां दोनों उचित हैं. ऐसे में उन्हें निर्बाध गति से काम करने देना चाहिए. कम से कम तीन साल बाद इस सरकार की उपलब्धियों की समीक्षा करनी चाहिए, तभी न्यायसंगत होगा. अभी तो सरकार जमीनी काम कर रही है. इसलिए सालभर के अंदर उससे अपेक्षित परिणाम की कामना करना बेमानी है.'

गोमांस पर मोदी से नाराजगी
शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती मोदी सरकार से गोहत्या के मुद्दे पर नाराज हैं. वह कहते हैं, 'मोदी के शासनकाल में गाय के मांस का निर्यात बढ़ गया है जो ठीक नहीं है. इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए' शंकराचार्य ने बूचड़खानों को भी बंद करने की मांग की है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा, 'अभी एक साल ही तो बीता है, थोड़ा समय और दीजिए.'

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'अल्पसंख्यकों के प्रति उदार हैं मोदी'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रवैया अल्पसंख्यकों के प्रति उदार है, लेकिन उन्हें छोटे नेताओं के अनर्गल बयानों पर अंकुश लगाना पड़ेगा. साध्वी दिव्या ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की नीतियां विकास करने में सक्षम हैं. इस सरकार के काम काज के तरीके औरों से अलग हैं. हालांकि उन्होंने सरकार के काम काज की समीक्षा और इसकी नीतियों का पूर्ववर्ती सरकारों से तुलना करने को भी आवश्यक बताया.

- इनपुट IANS

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