Advertisement

आरबीआई गवर्नर ने दिए रेपो रेट कटौती के संकेत, कम हो सकती है आपकी EMI

आरबीआई गवर्नर शक्‍तिकांत दास ने रेपो रेट में कटौती के संकेत दिए हैं. इसके साथ ही उन्‍होंने सरकार के कॉरपोरेट टैक्‍स में कटौती के फैसले का भी स्‍वागत किया है.

 RBI गवर्नर ने दिए ये संकेत RBI गवर्नर ने दिए ये संकेत
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 24 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST

  • 3 दिन की समीक्षा बैठक एक अक्टूबर को शुरू होगी
  • 4 अक्टूबर को होगी मौद्रिक नीति समीक्षा के फैसलों की घोषणा

अगर सबकुछ ठीक रहा तो एक बार फिर आम लोगों की लोन की ईएमआई कम हो सकती है. दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्‍तिकांत दास ने रेपो रेट में कटौती के संकेत दिए हैं.

क्‍या कहा आरबीआई गवर्नर ने

रेपो रेट कटौती को लेकर शक्‍तिकांत दास ने कहा, ‘आज हम देख रहे हैं कि कीमतें स्थिर हैं.  मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से काफी नीचे है. हमें उम्मीद है कि अगले 12 महीनों तक मुद्रास्फीति नीचे बनी रहेगी. ऐसे में, विशेष रूप से ऐसे समय जबकि वृद्धि नरम पड़ गई है, नीतिगत दर में और कमी की कुछ गुंजाइश है.’

Advertisement

हालांकि, उन्होंने चालू वित्त वर्ष की वृद्धि को लेकर रिजर्व बैंक के अनुमान के बारे में कुछ बोलने से मना किया.  उन्होंने कहा कि इस बारे में जो कुछ भी कहना है, 4 अक्टूबर को मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के साथ ही सार्वजनिक किया जाएगा.

बता दें कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की 3 दिन की समीक्षा बैठक एक अक्टूबर को शुरू हो रही है. वहीं इस साल रिजर्व बैंक चार बार में अपनी नीतिगत दर ‘रेपो’ कुल मिलाकर 1.10 फीसदी घटा चुका है. 

कॉरपोरेट टैक्‍स कटौती से विदेशी निवेश बढ़ेगा

बीते शुक्रवार को केंद्र सरकार की ओर से कॉरपोरेट टैक्‍स में कटौती का ऐलान किया गया. शक्‍तिकांत दास के मुताबिक सरकार के इस फैसले के बाद विदेशी निवेशक भारत की ओर रुख करेंगे. शक्‍तिकांत दास ने कहा, ‘यह बहुत साहसिक और सकारात्मक कदम है. जहां तक अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का सवाल है तो भारत में कॉरपोरेट टैक्‍स की दरें आसियान और एशिया के अन्य हिस्सों के उभरते बाजारों के मुकाबले बहुत आकर्षक हो गई हैं. मेरी राय में आज भारत प्रतिस्पर्धा के बीच बहुत मजबूत स्थिति में पहुंच गया है. इससे और अधिक निवेश आकर्षित होगा.’

Advertisement

इसके साथ ही शक्‍तिकांत दास ने घरेलू निवेश के लिए भी सरकार के फैसले को बेहतर करार दिया. उन्‍होंने कहा कि कंपनियों के पास अब पूंजीगत निवेश बढ़ाने के लिए पहले से अधिक पैसा बचेगा. बचत होने पर कुछ कंपनियां निवेश बढ़ाएंगी और कुछ अपना कर्ज घटा सकती हैं. इससे उनकी ‘बैलेंसशीट’ सुधरेगी. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement