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इस Master Key से भेदा जा सकता है फिंगरप्रिंट सिक्योरिटी, बायोमेट्रिक ऑथेन्टिकेशन के लिए गंभीर

स्मार्टफोन्स में दिए गए फिंगरप्रिंट सेंसर्स यूजर्स के फिंगरप्रिंट्स का कुछ हिस्सा ही स्कैन करते हैं और सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह सबसे बड़ी समस्या है.

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:46 PM IST

न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने बायोमेट्रिक आइडेंटिफिकेशन को भेदने के लिए मास्टर फिंगरप्रिंट कीज बनाई है. इसे आप Master Key जैसा समझ सकते हैं, जिसे किसी भी लॉक को खोलने के लिए तैयार किया जता है. इसी तरह से मास्टर फिंगरप्रिंट की बनाने का मकसद फिंगरप्रिंट ऑथेन्टिकेशन को धोखा देकर भेदने का है.

रिसर्चर्स ने जो मास्टर प्रिंट्स तैयार किए हैं उसमें ये क्षमता है कि हर पांच में से एक सफल मैच होता है. उन्होंने एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया है और यह साबित किया है कि मशीन लर्निंग का यूज करते हुए फिंगरप्रिंट्स को आर्टिफिशियल तरीके से तैयार किया जा सकता है. इस मास्टर फिंगरप्रिंट कीज से उन डेटाबेस में सेंध लगया जा सकता जो बायमेट्रिक ऑथेन्टिकेशन सिस्टम से सिक्योर किए गए होते हैं.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक यह काफी गंभीर है, क्योंकि आधार के तहत यूजर्स की आइडेंटिफिकेशन के लिए डिजिटल फिंगरप्रिंट का यूज किया जाता है और फिंगरप्रिंट मास्टर कीज के जरिए डेटा चोरी करने वाले इसे निशाना बना सकते हैं. 

द नेक्स्ट वेब की रिपोर्ट के मुताबिक काउंटर प्वॉइंट रिसर्च ने पिछले साल रिपोर्ट में कहा कहा था कि 2017 में बेचे गए 50% से ज्यादा स्मार्टफोन्स में फिंगरप्रिंट स्कैनर दिए गए हैं और उम्मीद की गई थी की 2017 के आखिर में यह बढ़ कर 71% हो सकती है.

इस पेपर में कहा गया है कि आंशिक प्रिंट्स पूरे प्रिंट्स जैसे नहीं होते हैं और आंशिक प्रिंट्स के दूसरे फिंगरप्रिंट्स के साथ मैच करने की समस्या रहती है.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मक्को हिप्पोनेन ने एक ट्वीट किया है. इसमें उन्होंने मास्टर फिंगरप्रिंट कीज की तुलना लॉक के लिए बनाए गए  Master Key से की है. उन्होंने कहा है कि सिंथैटिक फिंगरप्रिंट्स पर गी गई रिसर्च दिलचस्प है जो बड़े पैमाने पर असल फिंगरप्रिंट्स से मैच कर सकती है.

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