
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने पर मुहर लगा दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले को चुनाव से पहले का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. इस फैसले के तहत सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. कैबिनेट की मुहर लगने के बाद आज संविधान संशोधन बिल को लोकसभा में पेश किया गया.
केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने संशोधन विधेयक को पेश किया, नागरिकता संशोधन विधेयक के बाद इस बिल पर लोकसभा में बहस होगी. भारतीय जनता पार्टी की पार्टी से ओर से इस बहस में निशिकांत दुबे, नंदकुमार चौहान और वित्त मंत्री अरुण जेटली हिस्सा लेंगे. शिवसेना की तरफ से आनंदराव अदसुल, विनायक राउत बहस में हिस्सा लेंगे.
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया था, जबकि कांग्रेस ने पहले ही अपने सांसदों के लिए सोमवार और मंगलवार को उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था.
संसद में सरकार के सामने बड़ी चुनौती
संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह से राफेल विमान सौदे में कथित गड़बड़ी को लेकर हो रहे हंगामे में बीता. अब आज सत्र का आखिरी दिन है, ऐसे में सरकार के सामने इस बिल को पास करवाने की चुनौती है. वो भी तब जिस दौरान विपक्ष पूरी तरह से आक्रामक है. सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार इस बिल को पास कराने के लिए सत्र को आगे बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है.
गौर करने वाली बात ये भी है कि अगर सरकार को संविधान संशोधन बिल को लागू करवाना है तो उसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पास करवाना जरूरी है. लोकसभा में तो एनडीए सरकार के पास बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष की स्थिति मजबूत है. ऐसे में सरकार की अग्निपरीक्षा होना तय है.
हां-हां, ना-ना में फंसा विपक्ष
केंद्र सरकार के इस फैसले को मास्टरस्ट्रोक इसलिए भी माना जा रहा है कि कई पार्टियां इसकी मांग पहले से करती आई हैं. यही कारण रहा कि सोमवार को जब कैबिनेट का फैसला आया, तो किसी भी राजनीतिक दल ने इसका पुरजोर विरोध नहीं किया. बस, चुनाव से पहले ऐलान करने के लिए सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिए.
कांग्रेस ने सोमवार को ही साफ कर दिया था कि पार्टी इस फैसले का समर्थन करेगी, लेकिन नरेंद्र मोदी युवाओं को रोजगार कब देंगे. हालांकि, कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के अलावा कई अन्य पार्टियों ने भी सरकार के फैसले का सीधे तौर पर विरोध नहीं किया है.
बसपा-सपा ने किया संशोधन बिल का समर्थन
मंगलवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस बिल के समर्थन का ऐलान किया, हालांकि उन्होंने कहा कि SC/ST, OBC को मिलने वाले आरक्षण का दायरा बढ़ाने की अपील की. वहीं समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने भी कहा कि हम सरकार के इस बिल का समर्थन करते हैं, लेकिन ओबीसी वर्ग को भी उनकी बढ़ती आबादी के अनुसार 54 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए.
क्या है मोदी कैबिनेट का फैसला?
दरअसल, सोमवार को सभी को चौंकाते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया. इस फैसले के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण समाज के लोगों को सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. इसके लिए सरकार की ओर से कुछ शर्तें भी रखी गई थीं.
किन सवर्णों को मिलेगा आरक्षण का लाभ?
- जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो
- जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम की खेती की जमीन हो
- जिनके पास 1000 स्क्वायर फीट से कम का घर हो
- जिनके पास निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो
- जिनके पास 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो
- जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे
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