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लौट आया सोना तस्करी का जमाना

गोल्ड इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी बढऩे से तस्करी के जरिए गोल्ड फिर से भारत आ रहा है और इस पीली धातु की तस्करी के लिए लोग नायाब तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं और अपनी जान तक को जोखिम में डालने से पीछे नहीं हट रहे.

सोने की तस्करी सोने की तस्करी
प्रेरणा सोढी
  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2013,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

हाजी मस्तान और सुकुर नारायण बखिया की जोड़ी गोल्ड की तस्करी के लिए कुख्यात थी और उन्हें तस्करी के नायाब तरीके ईजाद करने के लिए जाना जाता था. लगता है, अब वे दिन लौट आए हैं. गोल्ड इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी बढऩे से तस्करी के जरिए गोल्ड फिर से भारत आ रहा है और इस पीली धातु की तस्करी के लिए लोग अपनी जान तक को जोखिम में डाल रहे हैं. बात सिर्फ इतनी है कि तस्करों में गोल्ड की दीवानगी फिर से अपना रंग दिखाने लगी है.

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ज्यादा पैसा बनाने की संभावना से अगर तस्करों की लार टपक रही है, तो ऐसा होता दिख भी रहा है. सच तो यह है कि वे बिलकुल भी समय नहीं गंवाना चाहते. पिछले 15 दिनों में ही इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कस्टम अधिकारियों ने भारी मात्रा में गोल्ड जब्त किया है और 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. आखिरी गिरफ्तारी 19 जून को हुई है, जब अधिकारियों ने चार यात्रियों को पकड़ा. दांव पर बहुत कुछ लगा होने की वजह से गोल्ड की तस्करी में शामिल लोग इस कीमती धातु को छिपाकर लाने के लिए नई-नई युक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तो अधिकारी एक ऐसे व्यक्ति के तस्करी के नायाब तरीके से भौंचक्के रह गए, जो बचकर निकलने ही वाला था. उसने गोल्ड के स्टैपलर पिन बनवाकर उनसे फूड प्रोसेसर और एक डिब्बे को पंच कर रखा था. कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस एयरपोर्ट पर एक शख्स धरा गया जो अपने पेट में गोल्ड बार छिपाकर ले जा रहा था.

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मुंबई में कस्टम अधिकारियों ने पहली नजर में समझ लिया था कि अब्दुल रहमान कुछ छिपा रहा है. 35 वर्षीय यह शख्स सिर्फ हैंडबैग लेकर दुबई से एमिरेट्स की फ्लाइट से मुंबई के छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट पहुंचा था. उसे ग्रीन चैनल को पार करते समय रोका गया. उसकी कमर के आसपास रखने पर मेटल डिटेक्टर बीप करने लगता था, जबकि उसके सामान या कपड़ों में कुछ भी नहीं मिला. पूछताछ के बाद उसने कस्टम अधिकारियों को बताया कि उसने पेट के अंदर गोल्ड के पांच बिस्किट छिपा रखे थे जिनका वजन करीब 500 ग्राम था. सच तो यह है कि रहमान ने पूरी सावधानी बरतते हुए गोल्ड को अपने पेट में डालने से पहले इन बिस्किट को कार्बन पेपर में लपेट दिया था. कस्टम अधिकारियों के मुताबिक, आम तौर पर तस्करी के लिए तस्कर कार्बन पेपर का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उनको लगता है कि अगर इस पेपर में लपटेकर कोई चीज लाई गई तो उसे एयरपोर्ट के स्कैनर नहीं पकड़ पाएंगे. मुंबई हवाई अड्डे पर 27 जून तक गोल्ड तस्करी के छह मामले दर्ज हो चुके थे.

सूत्र बताते हैं, ''आम तौर पर भारत में तस्कर बड़ी मात्रा में गोल्ड की तस्करी नहीं करना चाहते. वे इसकी जगह टुकड़ों-टुकड़ों में थोड़ा गोल्ड लाने पर जोर देते हैं. जब इंपोर्ट ड्यूटी 6 फीसदी थी, तो यह समस्या ज्यादा नहीं थी. लेकिन इसके बढ़कर 8 फीसदी हो जाने से गोल्ड की तस्करी पर मुनाफा बढ़ गया है.” खाड़ी देशों से आने वाले यात्रियों पर खास नजर रखी जा रही है. दुबई में गोल्ड मुंबई के मुकाबले प्रति किलो 1 लाख रु. तक सस्ता है.

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गिरफ्तार लोगों में फिलस्तीनी नागरिक 22 वर्षीय मुहम्मद अल शायर राना भी शामिल है जो काहिरा में सिविल इंजीनियरिंग का छात्र है. उसने तस्करी के माल को छिपाने के एक नए तरीके का खुलासा किया. उसे जब रोका गया तो वह ग्रीन चैनल से बाहर जाने की कोशिश कर रहा था. उसके हैंडबैग की तलाशी ली गई तो उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला. लेकिन गहनता से जांच करने पर पाया गया कि वह प्रत्येक 1 किग्रा वजन के 10 गोल्ड बार और दो छोटे गोल्ड के बिस्किट लेकर जा रहा था जिसे उसने अपनी जींस में छिपा रखा था. गोल्ड को छिपाने के लिए उसके जींस के पॉकेट अलग तरह से बनाए गए थे. पूछताछ के दौरान राना ने बताया कि उससे यह वादा किया गया था कि अगर यह माल उसने सही जगह पहुंचा दिया तो उसे 500 डॉलर कमीशन मिलेगा.

प्रशासन के लोग आगे आने वाली चुनौतियों के प्रति सचेत हो रहे हैं, यह समझते हुए कि आगे तस्करी की घटनाएं बढ़ेंगी. छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट पर दुबई से आने पर पकड़े जाने वाला अब्दुल रहमान कस्टम अधिकारियों से बार-बार यह कह रहा था कि वह दुबई से अब तक 13 बार भारत आया है और हर बार अपने शरीर के भीतर गोल्ड छिपाकर लाया है. इससे अधिकारी यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि आखिर सोने की कितनी और किन-किन तरीकों से तस्करी हो रही है और इसे कैसे रोकें. (साथ में कृष्ण कुमार)

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गोल्ड इंपोर्ट बढऩे से चालू खाता घाटा बढ़ते जाने और इसके नतीजतन रुपए के लगातार कमजोर होने से सरकार गोल्ड इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर 8 फीसदी करने को मजबूर हो गई. हालांकि 1992 में सोने की तस्करी में गिरावट आई थी जब सरकार ने आधिकारिक रास्ते से इसका इंपोर्ट खोल दिया. एनआरआइ को प्रति 10 ग्राम 450 रु. की ड्यूटी चुकाकर 5 किलो तक गोल्ड लाने की इजाजत दी गई. गोल्ड की तस्करी पर रोक लगाने के लिहाज से बाद में इंपोर्ट ड्यूटी को और घटाकर प्रति 10 ग्राम 220 रु. कर दिया गया.

लेकिन वह दौर खत्म हो रहा है क्योंकि भारतीयों की सोने की लालसा खत्म होने का नाम नहीं ले रही. इस साल अप्रैल 2012 के 3.1 अरब डॉलर के मुकाबले अप्रैल में सोने का इंपोर्ट 138 फीसदी बढ़कर 7.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया. सरकार के गोल्ड पर इंपोर्ट डयूटी बढ़ाने के अलावा रिजर्व बैंक ने भी बैंकों के सोने के इंपोर्ट पर कई तरह की सीमाएं लगाई हैं.

आठवें दशक के मध्य में अपनी युवा अवस्था में मुंबई एयरपोर्ट पर तैनात रहे और अब वरिष्ठ कस्टम अधिकारी बन चुके एक शख्स ने बताया कि पहले गोल्ड दुबई, सिंगापुर, बैंकॉक और हांगकांग से तस्करी के माध्यम से भारत में आता था. वहीं, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने एक तरह से देशवासियों से विनती की है कि वे गोल्ड खरीदना बंद करें और हाल में शुरू किए गए इनफ्लेशन इंडेक्स्ड बॉन्ड जैसे नए वित्तीय साधनों में इन्वेस्ट करें. हालांकि, प्रमुख बिजनेस चैंबर एसोचैम का मानना है कि ये बॉन्ड बहुत कारगर नहीं हैं क्योंकि इनमें मैच्योरिटी पीरियड ज्यादा है. अब यह सरकार पर है कि वह गोल्ड तस्करी के इस नए दौर से निबटने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाती है.

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काले धंधे के सरदार
मस्तान हैदर मिर्जा ने बॉम्बे डॉक पर कुली के रूप में काम करने से लेकर अपने समय के सबसे कुख्यात तस्कर तक की जबरदस्त छलांग लगाई थी. डॉक के बारे में अपनी जानकारी का इस्तेमाल करते हुए वह इलेक्ट्रॉनिक सामान की तस्करी करने लगा और जहाजों के कैप्टन और कस्टम अधिकारियों को घूस देकर सोने की तस्करी तक पहुंच गया. आपातकाल के दौरान मस्तान को गिरफ्तार कर लिया और उसने 18 महीने जेल में बिताए. फिर उसने दावा किया कि वह सुधर गया है. इसके बाद उसने हाजी मस्तान नाम रख लिया.

दाऊद इब्राहिम पहले छोटा-मोटा चोर था. बाद में देश के सबसे बड़े तस्करों में शुमार हो गया. हाजी मस्तान ने उसे अपना उत्तराधिकारी बनाया. बताया जाता है कि गोल्ड और अपने अन्य माल को सुरक्षित रखने के प्रयास के तहत ही दाऊद का आइएसआइ से पहली बार संपर्क हुआ. पाकिस्तान में होने के बावजूद दाऊद का दबदबा खत्म नहीं हुआ है. उसके लोग मुंबई में तस्करी के धंधे में लगे हुए हैं. 1992 के धमाकों के लिए आरडीएक्स उसी रास्ते से लाया गया था जिस रास्ते से गोल्ड और तस्करी के अन्य सामान लाए जाते थे.

सुकुर नारायण बखिया भी हाजी मस्तान, वरदराजन मुदलियार, लल्लू जोगी और करीम लाला की श्रेणी का तस्कर था. 1970-80 के दशक में जब दमन पर उसके सख्त नियंत्रण वाला साम्राज्य चलता था तो उसने हाजी मस्तान के साथ साझेदारी की. दोनों ने पश्चिमी समुद्र तट का इलाका बांट लिया. मुंबर्ई हाजी मस्तान का गढ़ था, तो दमन पर बखिया का साम्राज्य चलता था.

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