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खुलासा: कैसे मीट कारोबारी मोइन कुरैशी ने फायदे के लिए की CBI पूर्व चीफ एपी सिंह के साथ लॉबिंग

मीट कारोबारी कुरैशी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य वित्तीय घोटालों को लेकर CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच चल रही है.

मीट कारोबारी मोइन कुरैशी (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव) मीट कारोबारी मोइन कुरैशी (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
सना जैदी/खुशदीप सहगल/अंकित कुमार
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  • 30 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में  कथित भ्रष्टाचार घोटाले को लेकर कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के चंद दिन बाद ही इंडिया टुडे के हाथ हैरान करने वाले कॉल इंटरसेप्ट्स लगे हैं. इनसे संकेत मिलते हैं कि यूपीए कार्यकाल के दौरान किस तरह ताकतवर नेताओं और आपराधिक तत्वों की ओर से देश की प्रमुख जांच एजेंसी के इर्दगिर्द अपने प्रभाव का तानाबाना बुना गया था.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय के बाहर धरना दिया था. कांग्रेस ने यह कदम सरकार की ओर से CBI में डायरेक्टर आलोक वर्मा और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद उठाया था. वर्मा और अस्थाना के बीच बीते काफी अर्से से तकरार चली आ रही थी.

वर्मा और अस्थाना, दोनों एक दूसरे पर विवादित मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के सहयोगी से घूस लेने का आरोप लगा रहे थे. कुरैशी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य वित्तीय घोटालों को लेकर CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच चल रही है. लेकिन अब अतीत से जुड़े इंटरसेप्ट्स के खुलासे राहुल गांधी की पार्टी के लिए गंभीर सवाल खड़े कर सकते हैं. इंडिया टुडे के पास कुरैशी की ओर से ब्लैकबेरी मैसेंजर पर की गई सीक्रेट बातचीत के ट्रांसक्रिप्ट मौजूद है जो यूपीए कार्यकाल के दौरान की गई थी.   

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बता दें कि वर्मा और अस्थाना के अलावा CBI  के कम से कम दो और शीर्ष अधिकारी हैं, जिनके उतार-चढ़ाव वाले करियर के साथ कुरैशी एंगल जुड़ा रहा है.  

सीबीआई के दो पूर्व डायरेक्टरों- रंजीत सिन्हा और एपी सिंह पर भी अरबपति मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से संपर्क होने के आरोप लगे, जिनका उन्होंने हमेशा जोर देकर खंडन किया.

इंडिया टुडे के पास 2016 में लिखी ED की चिट्ठी की प्रति मौजूद है, जिसमें CBI को आगाह किया गया था कि कुरैशी अनैतिक तत्वों के लिए नेताओं और जनसेवकों की लॉबिंग कर रहा है.

ED के तत्कालीन निदेशक करनाल सिंह ने 31 अगस्त 2016 को लिखा- ‘ये विदित है कि वो (मोइन कुरैशी) कुछ निश्चित जनसेवकों के लिए बिचौलिए की तरह काम कर रहा है.’

इस चिट्ठी के साथ यूपीए कार्यकाल के दौरान कुरैशी और कुछ अन्य व्यक्तियों के बीच ब्लैकबेरी मैसेंजर पर संदेशों के आदान-प्रदान के ट्रांसक्रिप्ट को सलंग्न किया गया है.  

कुरैशी की ओर से 24 सितंबर 2013 को पूर्व CBI निदेशक एपी सिंह को भेजे संदेश में लिखा गया- ‘मैं अपनी यात्रा को अग्रिम (प्रीपोन) कर रहा हूं. अब होमवर्क के लिए...और फिर इंतज़ार करो. हम देखेंगे कि इससे कैसे निपटना है. इस बीच बस ये देखो कि वो किसकी ज्यादा सुनते हैं.’ कुरैशी ने ये भी जोड़ा- शायद AP या K.NATH या कोई और, आपके दोस्तों में से भी कोई जो उसे अच्छी तरह जानते हों.’   

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ये संदेश कथित तौर पर आयकर विभाग की ओर से इंटरसेप्ट किए गए और ED ने इन्हें CBI के साथ साझा किया. ED  की ओर से CBI को दी जानकारी के मुताबिक संदिग्ध मनी लॉन्ड्रर (कुरैशी) की ओर से ये टेक्स्ट अपने BBM पिन 24A***3  से सिंह के 2AFD***C  पर भेजा गया.

ED  की चेतावनी से हालांकि उन लोगों की पहचान का खुलासा नहीं हुआ जिनके लिए “K.Nath” और “AP” का इस्तेमाल करते हुए कुरैशी ने लिखा था. हालांकि ये तत्कालीन सत्तारूढ़ यूपीए के दो अहम चेहरों से बहुत मिलते जुलते हैं.

साथ ही ट्रांसक्रिप्ट से ये भी इंगित होता है कि मीट कारोबारी 2013 के संदिग्ध लेनदेनों के लिए सीबीआई के पूर्व निदेशक के संपर्क में था.  सिंह ने अपने जवाब में कुरैशी को किसी शिंदे के संपर्क में रहने की सलाह दी. ये साबित नहीं कि पूर्व सीबीआई प्रमुख की ओर से अपने जवाब में क्या तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का नाम लिया जा रहा था.

सीबीआई के पूर्व निदेशक ने अपने जवाब में लिखा- “ठीक है, मुझे बताओ कि तुम कब वापस आ रहे हो?  तुम्हें शायद शिंदे के जरिए जाना पड़ सकता है.”

2  मई 2013 को इंटरसेप्ट किए गए अन्य संवाद के मुताबिक हैदराबाद स्थित उद्योगपति प्रदीप कोनेरू ने मीट कारोबारी को बताया कि उसके नंबर को “K” के अकेले वर्ण की पहचान वाले शख्स के कार्यालय से साझा किया गया है. ED  की चिट्ठी के मुताबिक कोनेरू के BBM पिन 2AD0***2 से संदेश भेजा गया- “K” के कार्यालय से कॉल आई जिसमें तुम्हारे नंबर के बारे में पूछा गया. मैंने इस K को +91971*****14 दिया.  

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कुरैशी ने अपने जवाब में एक और वैकल्पिक नंबर दिया. कुरैशी ने संदेश में लिखा- ‘9810****14 भी दे दो, मैं आज रात को यात्रा कर रहा हूं. ये नंबर वहां काम नहीं कर रहा.’

कथित कॉल रिकॉर्ड्स के आधार पर ED ने सीबीआई को आगाह किया कि इस मीट कारोबारी ने सरकार में हैसियत रखने वाले अधिकारियों और नेताओं से लाभ हासिल करने के लिए बिचौलिए की तरह काम किया.  

ED ने 31 अगस्त 2016 की चिट्ठी में सीबीआई को आगाह किया- ‘मोइन अख्तर कुरैशी ने संबंधित समय अवधि में ऊंचे पदों पर तैनात जनसेवकों और राजनेताओं से अनुचित लाभ दिलाने के नाम पर विभिन्न लोगों से मोटी रकम हासिल की.’

जब सीबीआई के पूर्व निदेशक एपी सिंह से इन इंटरसेप्ट्स को लेकर इंडिया टुडे ने संपर्क किया तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.  

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने अपनी प्रतिक्रिया में मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वो विपक्ष के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रही है. अल्वी ने कहा, “एनडीए सरकार साढ़े चार साल से सत्ता में है, पहले इसने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?  क्यों सरकार ऐसे लीक से प्रोपेगेंडा कर रही है?’

बीजेपी नेता अमिताभ सिन्हा ने कहा, ‘इन इंटरसेप्ट्स से हुए खुलासों की पूरी जांच होनी चाहिए. इसमें कोई संदेह नहीं यूपीए के कार्यकाल के दौरान इन सब का आपस में कनेक्शन था.’

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मोइन कुरैशी के वकील आरके हांडू ने कहा, ‘कुरैशी को एजेंसियों की ओर से तंग किया जा रहा है वो भी कानून की अदालत में बिना कोई सबूत पेश किए. हमें अभी तक ये दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए हैं.’

मोइन कुरैशी का पता पूछे जाने पर हांडू ने कहा, ‘कुरैशी ने माल्या और नीरव मोदी की तरह खुद को छुपाया नहीं, कुरैशी ने अदालत की इजाजत लेकर विदेश यात्रा की और निर्धारित समयसीमा में वापसी की.’

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