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पुरानी बोतल में नई शराब और स्वाद गजब का, ये है गुंडे

मैं ये तो नहीं कह सकता कि वेलंटाइंस डे के दिन फिल्म गुंडे देखना ठीक रहेगा या नहीं, मगर ये दावा जरूर है कि अगर आप यह फिल्म देखने गए, तो पैसा खराब नहीं करेंगे. गुंडे में एक्शन,इमोशन, दोस्ती, ड्रामा और जबरदस्त एक्टिंग का पैकेज है.

फिल्म गुंडे का पोस्टर फिल्म गुंडे का पोस्टर
aajtak.in
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  • 14 फरवरी 2014,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

फिल्म रिव्यूः गुंडे
एक्टरः रणवीर सिंह, अर्जुन कपूर, प्रियंका चोपड़ा, इरफान
डायरेक्टरः अली अब्बास जफर
स्टारः 5 में 3.5

मैं ये तो नहीं कह सकता कि वेलंटाइंस डे के दिन फिल्म गुंडे देखना ठीक रहेगा या नहीं, मगर ये दावा जरूर है कि अगर आप यह फिल्म देखने गए, तो पैसा खराब नहीं करेंगे. गुंडे में एक्शन,इमोशन, दोस्ती, ड्रामा और जबरदस्त एक्टिंग का पैकेज है.

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फिल्म की कहानी को संदर्भ मुहैया कराता है 1971 का पाकिस्तान विभाजन, जिसके नतीजे में एक नया मुल्क बांग्लादेश बना. जमीन और भावनाओं का एक और विभाजन, जिसकी कोख से पैदा हुए कई शरणार्थी. गुंडे कहानी है दो दोस्तों बिक्रम (रनवीर सिंह) और बाला (अर्जुन कपूर) की, जो सत्तर के दशक में कोलकाता में बसे हैं. इन दो किरदारों के बचपन के चित्रांकन में डायरेक्टर साहब इतने मशगूल हो गए कि एकबारगी लगने लगा कि फिल्म के हीरो रनवीर और अर्जुन की एंट्री इंटरवल के बाद ही होगी. मगर राहत की बात यह है कि ऐसा नहीं हुआ.

जैसा की होता आया है, बिक्रम और बाला नाम के बालकों ने शुरुआती दौर में सम्मानजनक ढंग से दो वक्त की रोटी कमाने की कोशिश की, मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. दोनों हालात से बेबस होकर मालगाड़ी से कोयले की चोरी में रम गए. और फिर कुछ ही बरसों में कलकत्ता(उस वक्त शहर का नाम) के सबसे बड़े कोयला माफिया बन गए. तो अब शब्द के प्रचलित अर्थों में वह गुंडे थे. मगर रॉबिनहुड नुमा. वे अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा स्कूलों और अस्पतालों में खर्च करते थे.

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इस मोड़ पर फिल्म में एंट्री होती है असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस सत्यजीत सरकार (इरफान) की. सरकार को जिम्मा सौंपा गया है शहर में पनपे गैरकानूनी धंधों को बंद कराने का. और जाहिर है इस क्रम में माफिया को खत्म करने का भी. अब तक एक ही सिक्के के दो पहलू बन रहते ब्रिकम और बाला के सामने सिर्फ पुलिस की चुनौती ही नहीं है. लव का मामला भी है. दोनों एक ही औरत के प्यार में पड़ जाते हैं, जो पेशे से कैबरे डांसर है. उसका नाम है नंदिता (प्रियंका चोपड़ा)

इंटरवल के बाद स्टोरी कई पेच खाती है और इसकी वजह से दर्शक सीट पर बंधे रहते हैं. दोनों नायकों के बीच कमाल की केमिस्ट्री है, जो इस सफर को और भी दिलचस्प बनाती है. रणवीर सिंह सेल्युलाइड स्क्रीन पर अपना लोहा साबित कर चुके हैं और अर्जुन कपूर ने भी उनके स्तर तक पहुंचने के लिए जमकर मेहनत की है. गुंडे की एक शान इसकी नायिका प्रियंका चोपड़ा भी हैं, जिन्होंने अपने एक्टिंग स्कूल में एक नया पाठ जोड़ा है इस फिल्म के जरिए. इरफान के हिस्से ज्यादा सीन नहीं आए हैं, मगर जो आए हैं. उन्हें वह बिलाशक खूब छाए हैं.

फिल्म गुंडे का म्यूजिक दिया है, सुहैल सेन ने, मगर वह फिल्म जितना उम्दा नहीं है. अगर ऐसा होता तो गुंडे का भोकाल और भी टाइट होता.

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फिल्म के एक्शन सीक्वेंस और कैमरा वर्क बहुत अच्छा है. मगर कुछेक सीन्स में हड़बड़ी भी दिखती है. मसलन, बाला जब एक गोडाउन उड़ाता है तो लगता है जैसे पुरानी सिनेमाई तरकीबों से ही काम चला लिया गया, स्पेशल इफेक्ट्स के नाम पर.
गुंडे एक मनोरंजक मसाला फिल्म है. नई बोतल में पुरानी शराब की तरह, जिसका स्वाद उम्दा है.

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