
भारत में 38 सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों के कुल डूबत कर्ज जून तिमाही के अंत में 8 लाख करोड़ रु. को पार कर चुके हैं, जो कुल वितरित ऋणों का लगभग 11 प्रतिशत हैं. इस कारण बैंकों पर एक बड़ी कार्रवाई करने का दबाव है.
देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) के नए सीएमडी, रजनीश कुमार कहते हैं कि बैंक अगले तीन वर्ष के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेगा, जिसमें परिसंपत्तियों की गुणवत्ता, ऋण वृद्धि, डिजिटलीकरण और मानव संसाधन प्रबंधन को लेकर लक्ष्य और मानदंड तय किए जाएंगे. बैंक की इस वर्ष जून के अंत में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां या एनपीए 1.88 लाख करोड़ रु. थीं, जो कुल ऋणों का दसवां हिस्सा थीं. ऐसे में डूबत कर्ज से निबटना एसबीआइ के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है.
दिवालियेपन की कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल को भेजे गए 40 मामलों में से अधिकांश में अग्रणी बैंक हैं. इस बीच, पंजाब नेशनल बैंक ने कुल 32 कंपनियों की परिसंपत्तियां, जिनका कुल बकाया ऋण एक्सपोजर 1,176 करोड़ रु. का है, बिक्री के लिए रख दी हैं. इनमें हनुंग टॉयज ऐंड टेक्सटाइल्स, हर्ब्स इंडिया, यूनाइटेड फूड्स और हरमन टेक्सटाइल शामिल हैं. 2,960 करोड़ रु.कर्ज वाला हनुंग पीएनबी का सबसे बड़ा बकाएदार है.
90 प्रतिशत से अधिक एनपीए सरकारी बैंकों के खातों में हैं. इसका अर्थ है कि सरकार को इस क्षेत्र की पूंजीगत आवश्यकताओं का बोझ खुद ही उठाना होगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में अधिक पूंजी लगाकर कर उनकी बैलेंस शीट मजबूत करना चाहती है. इसके लिए वित्त वर्ष 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के 13 बैंकों को आवंटित 22,900 करोड़ रु. के अतिरिक्त 2017-18 के बजट में 10,000 करोड़ रु. की राशि तय की गई थी. लेकिन जैसा कि क्रिसिल की रिपोर्ट ने इस वर्ष मई में इंगित किया है, ''(इस क्षेत्र में विनियमन, पर्यवेक्षण और जोखिम प्रबंधन में सुधार लाने पर) बेसल-तृतीय के मानकों को पूरा करने के लिए और सकल एनपीए में लगातार वृद्धि के मद्देनजर पूंजी की भारी आवश्यकता के हिसाब से सरकार की पूंजीगत योजना अपर्याप्त है."
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने सितंबर में कहा कि पीएसबी के ''निर्णायक और पर्याप्त पुनर्पूंजीकरण" की आवश्यकता थी. केंद्रीय बैंक ने पीएसबी के पुनर्पूंजीकरण की आवश्यकता पर बल दिया ताकि उत्पादक क्षेत्रों में पर्याप्त क्रेडिट प्रवाह सुनिश्चित हो, जो कि विकास में दोबारा प्राण फूंकने के लिए सरकार की योजनाबद्ध वित्तीय प्रोत्साहन का हिस्सा है. अब खोने के लिए समय नहीं बचा है.