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EXCLUSIVE: यूपी- NHM में गड़बड़ी, कम नंबर पाने वाले भी भर्ती

इस मामले के उजागर होने के बाद मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, 'सरकार ने पारदर्शी तरीके से भर्ती कराने के लिये हर जिले मे अलग मेरिट लिस्ट बनवाई है, इसलिए ऐसा हुआ है.

परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी
रणविजय सिंह/शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 26 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST

यूपी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम) के तहत करीब 5 हजार स्टाफ नर्स और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (एएनएम) की भर्ती में गड़बड़ी के सबूत मिले हैं. सबतों के तहत तय मानकों से कम नंबर पाने वालों की भी भर्ती की गई है.  कई मामलों में तो 90 में से 3 नंबर पाने वालों को भी नौकरी दे दी गई. वहीं, 90 में से 64 नंबर पाने वाले भी घोषित कर दिए गए. बता दें, ये मामला परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के विभाग से जुड़ा हुआ है. 

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दरअसल सरकार ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों नेशनल हेल्मेंथ मिशन के तहत एएनएम और हेल्थ स्टाफ नर्स की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था. इसके जरिए 5000 भर्तियां होनी थी, लेकिन इन भर्तियों के रिजल्ट में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं. किसी जिले में 90 मे से 3 नम्बर पाने वाले लोगों को भर्ती कर लिया गया तो किसी अन्य जिले में 90 में से 64 नंबर पाने वाले अभ्यर्थी को भी भर्ती नहीं किया गया.

यह भर्तियां लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर की गई हैं.  महिला कल्याण और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से की गयी इन भर्तियों में अभ्यर्थियों ने गड़बड़ियों के आरोप सरकार पर लगाए हैं. अगर सरकारी वेबसाइट पर देखा जाए तो कई लोगों के रिजल्ट्स ऐसे हैं, जिससे उन्हें पासिंग मार्क्स भी नहीं मिले हैं. बावजूद इसके उन्हें भर्ती के लिए ठीक मान लिया गया, जबकि कई जिलों में ज्यादा नंबर पाने वाले लोग भी पीछे रह गए.

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इस मामले के उजागर होने के बाद मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, 'सरकार ने पारदर्शी तरीके से भर्ती कराने के लिये हर जिले मे अलग मेरिट लिस्ट बनवाई है, इसलिए ऐसा हुआ है. जैसे कि किसी जिले में 100 लोग परीक्षा में बैठे और उसमें किसी ने अध‍िक्तम 10 अंक ही पाए तो उसकी भर्ती हो गई. लेकिन अगर किसी दूसरे शहर मे परीक्षार्थी ने पचास नम्बर पाए,  लेकिन उससे भी ज्यादा अंक पाने वाले लोग हैं तो उसकी भर्ती नहीं हुई. हर शहर की अलग मेरिट लिस्ट बनी है.' 

मंत्री ने कहा, 'इसमें पहले से ही नियम था कि जो जिस जिले में नौकरी करना चाहता है उसे उसी जिले की मेरिट में शामिल किया जाएगा.  ये नॉनट्रांस्फरेबल नौकरी है इसलिये हर शहर की अलग मेरिट लिस्ट बनाई गई है.' 

बरहाल सरकार की इस दलील से तमाम अभ्यर्थी नाखुश हैं और उनका मानना है की कम नंबर पाने वालों को अगर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी मिल जाती है तो जनता की सेहत के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है. सरकार अपनी कार्यप्रणाली को लेकर संतुष्ट दिख रही है, लेकिन यह गड़बड़ी सामने आने के बाद भर्ती के तरीके और अधिकारियों की प्लानिंग पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.

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