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आपकी प्राइवेसी है आपका मौलिक अधिकार, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से बाहर आकर बताया कि कोर्ट ने निजता के अधिकार को  मौलिक अधिकार माना है और कहा है कि ये अनुच्छेद 21 के तहत आता है.

निजता अधिकार पर SC ने दिया बड़ा फैसला निजता अधिकार पर SC ने दिया बड़ा फैसला
जावेद अख़्तर/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST

राइट टू प्राइवेसी यानी निजता का अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना है. नौ जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है.

नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मसले पर 6 दिनों तक मैराथन सुनवाई की थी. जिसके बाद 2 अगस्त को पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. पीठ की अध्यक्षता चीफ जस्टिस जेएस खेहर कर रहे हैं.

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इस मामले में याचिकाकर्ता और मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से बाहर आकर बताया कि कोर्ट ने निजता के अधिकार को  मौलिक अधिकार माना है और कहा है कि ये अनुच्छेद 21 के तहत आता है.

आधार कार्ड पर क्या होगा?

हालांकि, आधार कार्ड वैध है या अवैध है, इस पर अभी कोर्ट ने कुछ नहीं बोला है. आधार कार्ड के संबंध में मामला छोटी खंडपीठ के पास जाएगा. प्रशांत भूषण ने बताया कि इस फैसले का मतलब ये है कि अगर रेलवे, एयरलाइन जैसे रिजर्वेशन के लिए जानकारी मांगी जाती है, तो ऐसी स्थिति में नागरिक अपने अधिकार के तहत उससे इनकार कर सकेगा.

केंद्र सरकार के लिए झटका क्यों?

केंद्र सरकार के मसले पर भूषण ने बताया कि निश्चित तौर पर कोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार को बड़ा झटका है. क्योंकि केंद्र सरकार निजता को मौलिक अधिकार मानने के विरोध में थी.

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अब आगे क्या ?

इस फैसले के बाद अब एक अलग बेंच गठित की जाएगी. ये बेंच आधार कार्ड और सोशल मीडिया में दर्ज निजी जानकारियों के डेटा बैंक के बारे में फैसला लेगी.

केंद्र सरकार का पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने इस मसले पर सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा था. केंद्र का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि आज का दौर डिजिटल है, जिसमें राइट टू प्राइवेसी जैसा कुछ नहीं बचा है.

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को ये बताया था कि आम लोगों के डेटा प्रोटेक्शन के लिए कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में दस लोगों की कमेटी का गठन कर दिया है. उन्होंने कोर्ट को बताया है कि कमेटी में UIDAI के सीईओ को भी रखा गया है.

 

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