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दुनिया के सबसे बड़े स्पोर्टिंग इवेंट में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना किसी भी एथलीट के लिए गर्व की बात होती है. लेकिन 13 साल की नेपाल की गौरिका सिंह की तुलना किसी और से नहीं की जा सकती.
13 साल 255 दिन की तैराक गौरिका 2016 रियो ओलंपिक में 10 हजार एथलिटों में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी हैं. 7 अगस्त को गौरिका महिला 100 मीटर बैकस्ट्रोक हीट्स में 1 मिनट 8.45 सेकंड के साथ अपने हीट में पहले स्थान पर रहीं लेकिन ओवरऑल इनका स्थान 30वां है.
रियो में जाना सरप्राइज से कम नहीं था...
बहुत से नेशनल रिकार्डस तोड़ने वाली गौरिका कहती हैं, 'यह कूल है लेकिन साथ ही अवास्तविक भी है. मैं रियो ओलंपिक में जाना चाहती थी लेकिन मुझे लगता था कि मेरी उम्र कम होने के कारण मैं जा नहीं पाऊंगी. एक महीने पहले मुझे पता चला कि मैं जा सकती हूं. तब मुझे बहुत शॉक लगा था.'
हालांकि रेस से पहले उस समय उन्हें असहज स्थिती से गुजरना पड़ा जब अपने नाखून से उन्होंने अपनी ड्रेस फाड़ ली. गौरिका अपने कोच राइस गोर्मेल को रियो नहीं ला पाईं, जिसके कारण वह मैसेज और टेक्स्ट से कोच से इस स्थिति से निपटने की सलाह ले रहीं थी. रेस में वह दूसरा स्वमसूट पहन कर उतरी थीं.
गौरिका दो साल की उम्र में इंग्लैंड शिफ्ट हो गईं थी. पिछले साल अप्रैल में गौरिका अपनी मां और बहन के साथ नेपाल नेशनल चैम्पियनशिप में भाग लेने आईं थी. उसी समय वो वहां भूकंप में फंस गई थी.
नेपाल भूकंप का वो भयावह अनुभव
गौरिका भूकंप का अनुभव बताते हुए कहती हैं, 'वह बहुत भयानक था. हम लोग काठमांडू में बिल्डिंग के पांचवी मंजिल पर थे. भाग्यवश वह एक नई बिल्डिंग थी इसलिए वह गिरी नहीं.'
चैम्पियशिप की राशि कर दी दान
गौरिका ने चैम्पियनशिप की जीती हुई राशि दान में दे दी थी. गौरिका ने अपने पिता की दोस्त के चैरिटी में दान कर दी. गौरिका इस चैरिटी की गुडविल एम्बेसडर भी थीं. गौरिका के पिता पारस कहते हैं, 'वह स्पेशल हैं. आश्चर्य है कि वह रियो ओलंपिक में सबसे कम उम्र की एथलीट है. वह बहुत अच्छे तरीके से दबाव का सामना करती है.' गौरिका ने 2016 साउथ एशियन गेम्स में एक सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था.