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हरियाणा के इतिहास में ये अब तक की सबसे बड़ी बैंक रॉबरी है. एक ऐसी बैंक रॉबरी जिसे अंजाम देने के लिए लुटेरों ने सौ फुट लंबी सुरंद खोदी. सुरंग की खुदाई बैंक के पड़ोस में बंद पड़े एक खाली घर से शुरू हुई. ढाई फुट चौड़ी इस सुरंग का दूसरा सिरा बैंक में ठीक उस स्ट्रॉंग रूम में जाकर खुलता है जहां पर 360 लॉकर थे. और उन लॉकर्स में करोड़ों रुपए के जेवर और दूसरे कीमती सामान थे. लुटेरे सुरंग के जरिए बैंक के स्ट्रांग रूम में घुसते हैं और वहां से कुल 86 लॉकर खोल या तोड़ कर उनमें रखे करोड़ों रुपए के जेवरात लूट कर ले जाते हैं.
ये वारदात दिल्ली से सटे सोनीपत की है. शहर के गोहाना इलाके के सबसे पुराने बैंक में से एक पंजाब नेशनल बैंक रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार सुबह जब खुलता है तो पूरे इलाके में हड़कंप मच जाता है. शहर के 360 लोगों के लॉकर इसी बैंक में थे. और उन 360 लॉकर्स में से 86 लॉकर्स पर लुटेरे हाथ साफ कर चुके थे. पर सबसे हैरानी की बात ये थी कि इतनी लंबी सुरंग खोदी जाती रही पर बैंक और उसके आसपास किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी.
लुटेरों ने एक परफेक्ट बैंक रॉबरी की साजिश रची थी. एक ऐसी साजिश जिसमें सुरंग खोदने के लिए खुदाई की जगह से लेकर, उसकी लंबाई-चौड़ाई, दिन वक्त सब कुछ परफेक्ट चुना गया. बैंक के अंदर एक सूचना पट्टी पर लिखा है कि शनिवार को लॉकर रूम सुबह दस बजे से दोपहर एक बजे तक खुलता है. जबकि बाकी दिन सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक. जाहिर है रविवार को बैंक की छुट्टी होती है. यानी बैंक के लॉकर पर हाथ साफ करने के लिए लुटेरों के पास शनिवार शाम से लेकर सोमवार सुबह तक का वक्त था. और उन्होंने इसी वक्त का फायदा उठाया.
हर बैंक की तरह इस बैंक में भी लॉकर लेने के लिए बैंक में खाता खुलवाना या 10 हजार रुपये की एफडी करानी जरूरी थी. शनिवार हाफ डे और रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को जब बैंक खुला तो अंदर तो सब कुछ ठीक ठाक था. मगर बैंक का मैनेजर जैसे ही स्टोर रूम पहुंचा जहां कि लॉकर और बैंक का स्ट्रांग रूम था उसकी हवाइयां उड़ गईं. अंदर आधे के करीब लॉकर खुले पड़े थे. फर्श पर सामान बिखरा था. और ठीक लॉकर की दीवार के साथ नीचे फर्श पर एक बड़ा सा गड्ढा था. ये कुछ और नहीं बल्कि वही सुरंग था जिससे लुटेरे बैंक के अंदर दाखिल हुए थे.
बैंक मैनेजर देवेंद्र मलिक ने पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस की टीम किसी तरह सुरंग के अंदर दाखिल हुई. सुरंग के अंदर घुप्प अंधेरा था. इसके बाद करीब सौ फीट की दूरी के बाद पुलिस टीम को सुरंग का दूसरा सिरा मिला. सुरंग का मुंह कहीं और नहीं बल्कि बैंक के बाईं तरफ गली पार कर बंद पड़े इस मकान में खुला था. ये मकान पिछले काफी वक्त से खाली है. मकान मालिक सोनीपत के बाहर रहता है. सुरंग खोदने के लिए लुटेरे मकान के अंदर इस खिड़की के रास्ते दाखिल हुए थे.
जिस घर से सुरंग खोदी गई वहां से पंजाब नेशनल बैंक के लॉकर रूम तक का फासला तय करने में कुल 57 सेकेंड का वक्त लगता है. लेकिन इस फासले को सुरंग के जरिए पूरी करने में लुटेरों को करीब महीने भर का वक्त लगा. जाहिर है तैयारी और प्लानिंग में भी वक्त लगा होगा. इसीलिए बार-बार ये शक और सवाल उठता है कि इस सबसे बड़ी बैंक रॉबरी के पीछे बैंक का ही कोई अपना तो शामिल नहीं है?
वैसे बैंक स्टाफ के मुताबिक जिस जगह लॉकर रूम है वहीं बराबर में बैंक का स्ट्रांग रूम है जिसमें बैंक का कैश रखा होता है. लूट के वक्त भी स्ट्रॉंग रूम में लाखों के कैश थे. मगर लुटेरे स्ट्रॉन्ग रूम को शायद नहीं तोड़ पाए इसीलिए बैंक का सारा कैश बच गया.
जाहिर है अगर लुटेरों की प्लानिंग सटीक थी तो बैंक की लापरवाही भी कम नहीं थी. आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक लॉकर में रखे गए सामान के खोने या चोरी हो जाने के मामले में बैंक कोई हर्जाना नहीं देता. इसके पीछे तर्क ये है कि बैंक को इसकी जानकारी नहीं होती कि किसने बैंक के लॉकर में क्या रखा है? ऐसे में हर्जाना किस आधार पर दिया जाए? मगर सवाल ये है कि जब बैंक को पता है कि हर्जाने को लेकर ऐसे नियम हैं तो फिर सुरक्षा के लिए उसने आरबीआई के नियमों का पालन क्यों नहीं किया? लॉकर के कमरे की जैसी हिफाजत होनी चाहिए थी, क्यों नहीं की?
बैंक की इसी लापरवाही के खिलाफ बैंक के ग्राहकों ने बैंक के खिलाफ प्रदर्शन किया. इनकी मांग है कि बैंक की लापरवाही की वजह से इनकी जिंदगी भर की पूंजी लुट गई, इसलिए इन्हें उसका मुआवजा दिया जाए.
फिलहाल पुलिस की एक खास टीम मामले की जांच कर रही है. इस सिलसिले में बैंक के स्टाफ, लॉकर के मालिक और दूसरे सभी लोगों की भूमिका को खंगाला जा रहा है. पुलिस का मानना है कि हरियाणा की इस सबसे बड़ी बैंक रॉबरी में जो भी शामिल हैं उनका इस बैंक से कोई ना कोई वास्ता जरूर है.