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रोहिंग्या पर सामने आया केंद्र का हलफनामा, फिर कहा- Mistake हो गया

केंद्र सरकार का मानना है कि देश की सुरक्षा के लिए रोहिंग्याओं का निर्वासन जरूरी है. किसी भी अवैध अप्रवासी को भारत में रहने का अधिकार नहीं है.

रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या मुसलमान
अनुषा सोनी/सुरभि गुप्ता/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:34 PM IST

सभी राज्यों को उनके इलाके में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर उनकी सूची सौंपने के आदेश के बाद अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के लिए हलफनामा तैयार कर रही है.

केंद्र सरकार का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों के तौर पर भारत में नहीं रह सकते हैं. केंद्र ने रोहिंग्या मुसलमानों को आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया है.

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हालांकि रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर हलफनामे पर केंद्र सरकार ने एक पक्षकार को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार का जो हलफनामा उन्हें दिया गया, उसमें कुछ कसर थी और उसे गलती से भेज दिया गया. अब सरकार का कहना है कि इस हलफनामे को अभी भी अंतिम रूप दिया जा रहा है, जो हलफनामा सर्व किया गया है, वो फाइनल नहीं है.

खुफिया रिपोर्ट में रोहिंग्या मुसलमानों का आतंकी संगठन से भी जुड़े होने का जिक्र किया गया है. इसके मुताबिक रोहिंग्या आतंकी समूहों के तौर पर जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय हैं. रोहिंग्याओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट आतंकी गतिविधियों में लगा सकता है.

केंद्र की ये भी दलील दी है कि संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत भी भारत सरकार अवैध रूप से रहने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को स्वतंत्र है. फिलहाल सबकी निगाहें सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं.

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इस मामले में दो रोहिंग्या मुसलमान भी याचिकाकर्ता हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 में मौलिक अधिकारों के हनन के सिलसिले में मिले अधिकार के तहत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.

केंद्र ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार की कार्रवाई में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. दलील ये दी गई है कि जब रोहिंग्या मुसलमानों का भारत में रहना ही मौलिक अधिकार नहीं है, तो ऐसे में वो संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का संवैधानिक अधिकार भी नहीं रखते.देश की सुरक्षा के लिए रोहिंग्याओं का निर्वासन जरूरी है. किसी भी अवैध अप्रवासी को भारत में रहने का अधिकार नहीं है.

वहीं रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उनका आतंकवाद और किसी आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है. अपनी याचिका में रोहिंग्या समुदाय ने ये भी कहा कि उन्हें सिर्फ मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है.

जम्मू में रहने वाले करीब 7 हजार रोहिंग्या शरणार्थियों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया, 'हमारा आतंकवाद से कोई वास्ता नहीं है. यहां तक कि जब से हम जम्मू में रह रहे हैं, हम पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगे. हमारे बीच से कोई एक व्यक्ति भी आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं पाया गया'.

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