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कोठारी ने डकार लिए 7 बैंकों के 3695 करोड़, वापसी के नाम पर केवल किया गुमराह

कोठारी ने इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से लोन लिया था. इनमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया था.

आरोपी विक्रम कोठारी आरोपी विक्रम कोठारी
जावेद अख़्तर/मुनीष पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:08 PM IST

मुंबई स्थित पंजाब नेशनल बैंक की ब्रैडी हाउस ब्रांच के फर्जीवाड़े से नीरव मोदी की काली करतूतों से जो परतें हटनी शुरू हुईं तो बैंक फ्रॉड की आंच यूपी के कानपुर तक पहुंच गई. हीरा व्यापारी नीरव मोदी के बाद अब गिरफ्त में रोटोमैक पेन के मालिक विक्रम कोठारी हैं. कोठारी पर बैंक ऑफ बड़ौदा समेत सात बैंकों से 2919 करोड़ का कर्ज लेकर गटक जाने का आरोप है. इस रकम पर ब्याज लगाकर कर जोड़ा जाए तो कोठारी पर सात बैंकों की कुल देनदारी 3695 करोड़ रुपये बैठती है.

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ये है पूरी कहानी

-कोठारी ने इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत 7 बैंकों से लोन लिया था. सीबीआई के मुताबिक, ये घोटाला 2008 से चल रहा था. ये है लोन का विवरण:

बैंक ऑफ इंडिया- 754.77 करोड़

बैंक ऑफ बड़ौदा- 456.63 करोड़

इंडियन ओरवसीज बैंक- 771.77 करोड़

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- 458.95 करोड़

इलाहाबाद बैंक- 330.68 करोड़

बैंक ऑफ महाराष्ट्र- 49.82 करोड़

ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स- 97.47 करोड़

इन सात बैंकों से लिया गया ये कर्ज कुल 2919.39 करोड़ रुपये है. इस लोन पर ब्याज मिलाकर ये पूरी रकम 3696 करोड़ रुपये है. कोठारी ने अब तक न ये मूलधन चुकाया है और न ही इस पर लगा ब्याज दिया है.

लोन के एक साल बाद जब कोठारी ने जब लोन का मूल पैसा नहीं चुकाया और न ही कर्ज की रकम के ब्याज का ही भुगतान किया तो बैंक ने कार्रवाई शुरू कर दी.

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-सबसे पहले कोठारी को कर्ज देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को पिछले साल जानबूझकर ऋणचूक करने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित कर दिया.

-डिफॉल्टर सूची से नाम हटवाने के लिए रोटोमैक कंपनी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली. जहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. बी. भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सूची से बाहर करने का आदेश दे दिया.

-न्यायालय ने कहा था कि ऋण चूक की तारीख के बाद कंपनी ने बैंक को 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की पेशकश की थी और इसे गलत तरीके से सूची में डाला गया है.

-बाद में रिजर्व बैंक द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार एक प्राधिकृत समिति ने एक आदेश में कंपनी को जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया.

हालांकि, इस पूरे केस में बैंक अधिकारियों की सांठ-गांठ की भी जानकारी आ रही है. आरोप ये भी है कि कोठारी ने लोन का पैसा जिस एवज में लिया था, उससे इतर दूसरे कामों में इस्तेमाल किया.

CBI ने दर्ज किया केस

बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने रोटोमाक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी साधना कोठारी और राहुल कोठारी समेत अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.

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शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सात बैंकों से लोन के नाम पर 2919 करोड़ का चूना लगाने की साजिश की गई है. ये सिर्फ मूल धन है, इसमें ब्याज शामिल नहीं है. ये पूरा मामला 800 करोड़ के लोन से शुरू हुआ था, जो अब 3695 करोड़ तक पहुंच गया है.

जांच एजेंसी की कार्रवाई

केस दर्ज करने के बाद सीबीआई की टीम ने सोमवार सुबह कानपुर में छापेमारी की. ये केस 800 करोड़ रुपये का ऋण नहीं चुकाने के मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा की तरफ से दी गई शिकायत पर दर्ज किया गया है.

कानपुर में कोठारी के घर और दफ्तरों पर छापेमारी शुरू की गई. सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि छापेमारी के दौरान कोठारी, उनकी पत्नी और बेटे से पूछताछ की गई है. सीबीआई ने  दिल्ली में मौजूद कोठारी के ठिकानों को भी सील कर दिया है.

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