
बिहार में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद जहां एक ओर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अमित शाह के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं तमाम सुगबुहाटों के बावजूद शाह का दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनना लगभग तय हो गया है. मार्गदर्शक मंडल के नेताओं के आक्रमक रवैये को बीजेपी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गहरा झटका लगा है, क्योंकि संघ इस ओर शाह के बचाव की मुद्रा में आ गया है.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, संघ और बीजेपी के नेताओं से स्पष्ट कहा है कि आरएसएस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरी तरह समर्थन करने का निर्णय किया है और वह बिहार में बीजेपी की हार के लिए बुजुर्ग नेताओं द्वार अपनाए जा रहे बागी तेवरों को गंभीरता से लेने के मूड में नहीं है. लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में वरिष्ठ नेताओं की मंडली ने बिहार में हार के लिए मोदी-शाह को जिम्मेदार माना है और नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं.
2016 में खत्म होगा कार्यकाल
गौरतलब है कि अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी हैं. वह अभी बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर राजनाथ सिंह के कार्यकाल का हिस्सा पूरा कर रहे हैं. उनका यह कार्यकाल 2016 में खत्म होगा. इसके बाद शाह की अध्यक्ष पद पर दोबारा ताजपोशी होगी या नहीं, इसको लेकर बीते कुछ दिनों से कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे.
बीजेपी महासचिव और संघ के पूर्व प्रचारक मुरलीधर राव ने कहा, 'अमित शाह नाइट वॉचमैन नहीं हैं. चुनावी राजनीति के लिहाज से वह पार्टी के बेहद सफल अध्यक्षों में से एक हैं. उनका पहला काम 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिले जनसमर्थन को मजबूत करना था. उन्होंने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और संघ परिवार के लिए सबसे अहम जम्मू-कश्मीर चुनाव जीतकर ऐसा किया.'
चुनाव हारना महत्वपूर्ण नहीं
राव ने आगे कहा, 'वैचारिक लड़ाई में चुनाव हारना महत्वपूर्ण नहीं है. जब आरएसएस विरोधी सभी शक्तियां एकजुट हो जाएं तो ध्यान देने वाली बात यह होती है कि पार्टी संगठन ने ईमानदारी से काम किया या नहीं. शाह ने कड़ी मेहनत की यह सभी जानते हैं.'
पार्टी अध्यक्ष को लेकन प्रधानमंत्री के विशेषाधिकार का जिक्र करते हुए बीजेपी नेता ने कहा, 'यह पीएम का विशेषाधिकार है कि उनकी पसंद का पार्टी अध्यक्ष हो. शाह तभी हटेंगे, जब मोदीजी किसी और को यह जिम्मा देना चाहेंगे.' राव ने कहा कि पीएम मोदी संघ के एजेंडे पर काम कर रहे हैं. उनसे बेहतर स्वयंसेवक प्रधानमंत्री नहीं मिल सकता.
क्या हैं वरिष्ठ नेताओं के आरोप
बिहार में बीजेपी की हार पर बीते दिनों पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार की चौकड़ी ने तीखा हमला किया. चारों नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वो जो जीत का श्रेय लेने वाले थे, उन्हें हार की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
वरिष्ठ नेताओं ने इस ओर संयुक्त बयान भी जारी किया. बयान में नेताओं ने बिहार में हार के लिए जिम्मेदारी तय करने की मांग की है. बयान में कहा गया है, 'यह कहना कि बिहार में हार के लिए हर कोई जिम्मेदार है, का मतलब यह है कि इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है. यह दिखाता है कि वो जो बिहार में जीतने पर श्रेय लेंगे, हारने पर भागेंगे.'
पार्टी के बुजुर्गों के तेवर देख पहले तो बीजेपी नरम पड़ी, लेकिन फिर बाद में आक्रामक हो गई. शुरुआत में बीजेपी की ओर से भी बयान जारी कर मोदी-शाह का बचाव किया गया, लेकिन बाद में पूर्व पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने साफ तौर पर कहा कि जो कोई भी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.