
प्रधानमंत्री मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे को अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का भी साथ मिला है. भागवत का कहना है कि ये नारा ही असल में धर्म की घोषणा है. वो रविवार को संसद के बालयोगी सभागार में नानाजी स्मृति व्याख्यान दे रहे थे. इस मौके पर बड़ी तादाद में सांसद मौजूद रहे.
'गांधी, दीन दयाल की राह पर मोदी'
भागवत ने कहा कि 'सबका साथ और सबका विकास' तभी हकीकत बनेगा जब समाज के हाशिये पर सबसे आखिर में खड़े इंसान को फायदा मिले. उनके मुताबिक गांधीजी और दीन दयाल उपाध्याय ने भी यही सीख दी थी. भागवत की राय में देश का विकास यहां की प्रकृति और संस्कृति के हिसाब से होना चाहिए. उनका कहना था कि देश को पंडित दीन दयाल के एकात्म विकास के मॉडल की जरुरत है. भागवत ने कहा कि पंडित दीन दयाल का अंत्योदय का आदर्श ही 'सबका साथ, सबका विकास' की कसौटी है.
'धर्म है तो सब है'
संघ प्रमुख ने स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए कहा कि जब तक भारत में धर्म है तब तक उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. उनका कहना था कि धर्म वही है जो सबको साथ लेकर चलता है. भागवत ने याद दिलाया कि धर्म पर चलने वाला शख्स दूसरे के धर्म की भी रक्षा करता है.
संस्कृति मंत्रालय और दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम के सभी पार्टियों के सांसदों को न्योता भेजा गया था.