
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने ताजा बयान में डॉ. भीमराव अंबेडकर को हिंदूवादी विचारधारा का बताया है. भागवत ने इस ओर अंबेडकर के इलेक्शन एजेंट दत्तोपंत ठेंगड़ की किताब का जिक्र करते हुए कहा कि अंबेडकर ने कहा था कि संघ के स्वयंसेवक और विचारधारा सामाजिक एकता की प्रतीक है. किताब के कुछ हिस्से सुनाते हुए भागवत ने कहा कि अंबेडकर का मानना था कि भगवा ही राष्ट्रध्वज बने और संस्कृत राष्ट्रीय भाषा.
भागवत शनिवार को उन्नाव में संघ के पूर्व प्रचारकों के चिंतन शिविर को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि अंबेडकर की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने में हम असफल रहे हैं. दिलचस्प यह है कि इस कार्यक्रम के दौरान मीडिया को दूर रखा गया था. 'नव भारत टाइम्स' की खबर के मुताबिक, भागवत ने कहा कि सामाजिक बराबरी के लिए हम सभी लोग प्रयासरत रहे हैं, लेकिन समाज में जातिगत बंटवारे की खाई चौड़ी हुई है. इसे पाटने के लिए मजबूत प्रयास करने होंगे.
राजनीतिक हथियार और सामाजिक विभाजन
समाज के दबे-कुचले तबके को ऊपर उठाने के बाबत भागवत ने कहा, 'कुछ लोगों ने इन तबकों को राजनीतिक हथियार बनाया और सामाजिक विभाजन बढ़ा दिया. सरकार आतंकवाद रोकने का काम तो करेगी, लेकिन हिंदू समाज को विखंडित होने से रोकने के लिए सभी की भूमिका अहम होगी.' उन्होंने पूर्व प्रचारकों को सलाह दी कि आप जल जैसा बन जाएं ताकि जिस पात्र में जाएं, वैसे हो जाएं. इस शिविर में 22 जिलों के 200 प्रचारक मौजूद थे.
गौरतलब है कि शहर के निराला नगर ग्राउंड में रविवार को भागवत 20 हजार स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे. सोमवार और मंगलवार को वह बिठूर में खासतौर पर प्रांत प्रचारकों से बात करेंगे.