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संघ के विचारक और अर्थशास्त्री गुरुमूर्ति ने आज तक से कहा है कि दो हजार रुपये के नोट भी बंद हो जाएंगे. गुरुमूर्ति ने कहा है कि कुछ साल में दो हजार के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे. उनका दावा है कि दो हजार के नोट सरकार ने इसलिए छापे हैं, ताकि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में नोटों के गैप को जल्द से जल्द भरा जा सके.
उन्होंने ये भी कहा कि सरकार छोटे नोटों पर ज्यादा भरोसा करती है और इसीलिए बड़े नोटों को अगले पांच साल में चलन से बाहर कर दिया जाएगा. उनका कहना है कि निकट भविष्य में पांच सौ का नोट ही सबसे बड़ा नोट होगा. इसके बाद ढाई सौ रुपये और सौ रुपये के नोट होंगे. संघ के विवेकानंद फाउंडेशन में गुरुमूर्ति अहम स्थान रखते है और नोटबंदी के दौर में सरकार के लोगों ने कई बार उनसे सलाह भी ली है. इसलिए, दो हजार रुपये के नोट बंद होने को लेकर दिया गया उनका बयान काफी मायने रखता है.
वित्तीय पोखरण जैसा है नोटबंदी
एस गुरूमूर्ति ने नोटबंदी के कदम को वित्तीय पोखरण जैसा करार दिया और कहा कि इससे अर्थव्यवस्था में ऐसे बदलाव की उम्मीद है जो एक उदाहरण बनेगा. उन्होंने कहा कि इस निर्णय से जमीन जायदाद की कीमतों में गिरावट की शुरुआत होगी और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा. नोटबंदी को वित्तीय पोखरण बताते हुए गुरूमूर्ति ने कहा कि जब लोगों के पास अधिशेष पैसा होता है तो उनमें ऐसी वस्तुएं खरीदने की इच्छा जागती है जिनकी जरूरत नहीं होती और इस तरह से गैर जिम्मेदाराना व ह्रदयविहीन खर्च को बढावा मिलता है. नोटबंदी से बड़ा बदलाव आएगा. उन्होंने कहा, जिस तरह से पोखरण से सोच में बुनियादी बदलाव आया. कौन सोचता था कि अमेरिका, भारत के बारे में सोचेगा. अगर हमने परमाणु परीक्षण नहीं किया होता तो वे आपकी तरफ देखते ही नहीं.
गुरूमूर्ति ने कहा कि जिस तरह से पोखरण के बाद भारत में बुनियादी बदलाव आया और लोगों की उसके प्रति सोच बदली उसी तरह वित्तीय पोखरण से भी बुनियादी बदलाव आएगा, लेकिन इसे समझने, गणना करने व लोगों को इसके बारे में समझाने के लिए बहुत अलग सोच समझा की जरूरत है. उल्लेखनीय है कि भारत ने 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किए थे और देश उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया, जिनके पास परमाणु हथियारों की क्षमता है.
बरामद हो रहा कालाधन
जिस कालेधन को खत्म करने के लिए सरकार ने 2 हजार के नोट जारी किए, अब अलग-अलग जगहों से उन्हीं 2 हजार रुपये के नोटों की बरामदगी कालेधन के रूप में हो रही है. बड़ी मात्रा में दो हजार रुपये की बरामदगी ने नोटबंदी के अभियान को ही सवालों के घेरे में ला दिया है. सवाल ये है कि जिस एक अदद दो हजार के नोट के लिए आम लोग तरस रहे हैं, वही नोट कालेधन के कुबेरों के पास आखिर लाखों की तादाद में कहां से पहुंचते हैं?