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RSS के इंद्रेश कुमार ने कहा- राम मंदिर के समर्थन में आगे आ रहे मुसलमान

राम मंदिर निर्माण के लिए मुसलमानों का समर्थन जुटाने के लिए RSS के सीनियर लीडर इंद्रेश कुमार आजकल जगह-जगह पर प्रोग्राम आयोजित कर रहे हैं.

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST

राम मंदिर निर्माण के लिए मुसलमानों का समर्थन जुटाने के लिए RSS के सीनियर लीडर इंद्रेश कुमार आजकल जगह-जगह पर प्रोग्राम आयोजित कर रहे हैं. पिछले हफ्ते उन्होंने लखनऊ में ही ऐसा ही प्रोग्राम आयोजित किया था जिसमें भारी तादाद में मुसलमान भी सम्मिलित हुए.

राम मंदिर निर्माण को लेकर कोशिशों पर इंद्रेश कुमार ने 'आजतक' से खास बातचीत में कहा, "पोजिशन थोड़ा डिफर कर रही है. इसलिए 5 साल में मुसलमान बड़ी तेज गति से इस बात के लिए आगे बढ़ रहा है कि वहां राम मंदिर बनना चाहिए. हमारी तैयारी के बजाय उनकी तैयारी है. ऐसा वातावरण क्रिएट कर रहे हैं. मुसलमान कारसेवक ग्रुप बनाया है. जिसमें हजारों मुसलमानों ने यह ग्रुप ज्वॉइन किया है. इस तरह जगह-जगह पर इनके जन साधारण लोग हैं, बुद्धिजीवी लोग हैं. मौलाना, इमाम, मौलवी हैं. वह तेज गति से आगे आ रहे हैं. राम मंदिर बनना चाहिए. संभावित तौर से कुछ कट्टरपंथी इस पर अड़े हैं. केस सुप्रीम कोर्ट ने लिया है."

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इंद्रेश कुमार का कहना है कि उन्होंने दो बातें अपील में कही हैं. एक तो उन्होंने कहा है कि यह समस्या विदेशियों द्वारा खड़ी की गई है. बाबर विदेशी था उसका हिंदुस्तान और हिंदुस्तानियों से कोई लेना-देना नहीं था. उसका सेनापति मीर बाकी था. उसने राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की कोशिश ही न की होती तो समस्या ही खड़ी ना होती.

इंद्रेश कुमार का कहना है कि मुकदमा उन पर चलना चाहिए जो उनके समर्थक हैं. मुकदमा वहां से शुरू होना चाहिए. मूल रूप से मुकदमा उन पर चलना चाहिए. बाबर पर, मीर बाकी पर और जो उनके समर्थन में खड़े हैं. दूसरी बात जो मुसलमानों में तेज गति से चर्चा में आया वह यह आई है कि अल्लाह खुदा का फैसला सामने है. 400 साल में वहां पर मस्जिद बन ही नहीं सकी. इसका मतलब यह हुआ कि खुदा ने ही उसको कबूल नहीं किया. दूसरा मस्जिद खुदा के नाम होती है. वह इंसान के नाम है. तीसरा झगड़े वाली जगह पर है. झगड़े पर भी मंदिर वाली जगह पर है.

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RSS नेता इंद्रेश कुमार का कहना है कि आज तक 400 साल में मुसलमान उसमें नमाज अदा करने नहीं गया. मुसलमान सोचने पर मजबूर हैं कि खुदा ने उस मस्जिद को कबूल ही नहीं किया. वह मस्जिद खुदा के नाम की बजाय इंसान के नाम पर है. वह मस्जिद आज तक बन ही नहीं सकी. मुसलमान नमाज पढ़ने नहीं गया तो इसलिए इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मुसलमान चाहता है हमें नापाक मस्जिद नहीं, पाक मस्जिद चाहिए. इसलिए कोर्ट को भी इस बात को ठीक से समझना चाहिए और कट्टरपंथियों को भी सोचना चाहिए. उन्हें यह जिद छोड़ देनी चाहिए कि मस्जिद वहां ही बनेगी और उन्हें विड्रा करना चाहिए.

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