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लेनिन, पेरियार और मुखर्जी की मूर्तियां तोड़ने पर संघ ने जताई गहरी चिंता

आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की बैठक में पिछले साल के कामों, समाज और देश घटित घटनाओं पर एक प्रतिवेदन जारी किया हैं. संघ के इस प्रतिवेदन में विशेष रूप त्रिपुरा का जिक्र किया गया हैं.

संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो) संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)
केशवानंद धर दुबे/मोनिका गुप्ता/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्रतिनिधि सभा की बैठक में पिछले साल के कामों, समाज और देश में घटित घटनाओं पर एक प्रतिवेदन जारी किया गया हैं. संघ के इस प्रतिवेदन में विशेष रूप से त्रिपुरा का जिक्र किया गया है.

इसमें कहा गया है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में आयोजित हिंदू सम्मेलन विशेषतः त्रिपुरा राज्य का सम्मेलन कई बातों में प्रेरक अनुभव देने वाला रहा है. बता दें कि जिस तरह से त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति, कोलकाता में श्यामाप्रसाद मुखर्जी की मूर्ति और चेन्नई में पेरियार की मूर्ति तोड़ी गई हैं, उस पर RSS ने  अपनी चिंता जताई हैं.

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आपसी संघर्ष की घटनाएं चिंता का विषय

प्रतिवेदन में कहा गया है कि समाज में आपसी संघर्ष की घटनाएं सबके लिए चिंता का विषय है. ऐसी घटनाओं के दौरान हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को होने वाला नुकसान पूर्णतः निंदनीय है. संघ ने कहा कि विभाजनकारी तत्वों से सावधान रहने की आवश्यकता है.

संघ ने स्वयंसेवकों को दिया संदेश

संघ ने अपने इस प्रतिवेदन के ज़रिए अपने स्वयंसेवकों को संदेश दिया है कि वैसे ही समाज को आहत करने वाली घटनाएं घटती रहती हैं और सामूहिक रूप से आक्रोश प्रकट होता है. संबंधित सभी पक्षों को यह ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है कि किसी भी कारण से जनभावनाओं और समाज के सम्मान को ठेस न पहुंचे.

मर्यादाओं का पालन करना आवश्यक

संघ का मानना है कि किसी के न्याय व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था के प्रति सम्मान और विश्वास को धक्का न लगे. इसकी चिंता करनी चाहिए. संविधान में अपनी बात रखने का अधिकार हमें प्राप्त है, लेकिन हम सबको अपनी मर्यादाओं का पालन भी करना चाहिए.

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संघ ने कहा कि समाज में भ्रांत धारणा फैलाने वाली शक्तियां सक्रिय होती हुई दिखाई देती हैं. इन सारी परिस्थितियों में अत्यंत संयम और कुशलता के साथ कार्य करते हुए आगे बढ़ना है. संघ कार्य ही हम सबका जीवन ध्येय बने.

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