
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय नागपुर जाने के बाद से बीजेपी और संघ जहां खुश हैं. वहीं, इसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की आरएसएस विरोधी मुहिम पर आघात माना जा रहा है.
राहुल पिछले कई सालों से आरएसएस पर लगातार हमले कर रहे हैं. देश में संघ के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. यही वजह है कि कांग्रेस के कई नेता प्रणब का संघ के कार्यक्रम में जाने का विरोध कर रहे थे और उनसे न जाने के लिए गुजारिश भी कर रहे थे. हालांकि, अब वे इसे अपने पक्ष में बताने में जुटे हुए हैं कि प्रणब ने संघ मुख्यालय जाकर संघ को नसीहतें दीं.
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में ऐसे समय में शामिल हुए, जब देश में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पीएम मोदी और आरएसएस विरोधी शक्तियों को एक मंच पर लाने की कोशिश में जुटे थे. ऐसे में प्रणब का जाना विपक्ष के बाकी सेक्युलर दलों को भी नागवार गुजरा. माना जा रहा है कि प्रणब मुखर्जी के इस दांव ने राहुल के सियासी वैचारिक आधार को हिला कर रख दिया है.
दरअसल राहुल गांधी 2014 के बाद से संघ के खिलाफ सक्रिय और आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं. राहुल आरएसएस को महात्मा गांधी का हत्यारा बता चुके हैं. हालांकि राहुल के बयान को संघ ने अदालत में चुनौती दी और इस पर सुनवाई चल रही है.
कांग्रेस अध्यक्ष अपनी चुनावी रैलियों और जनसभाओं में संघ पर सीधा हमला बोलते हैं. राहुल संघ को देश को बांटने वाला, दलित विरोधी और भारत की विविधता को न मानने वाला संगठन कहते हैं. पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने के बाद राहुल संघ के खिलाफ और भी मुखर हुए हैं.
राहुल संघ के साथ पीएम मोदी पर भी बराबर हमले करते रहे हैं. वे नरेंद्र मोदी को भी नफरत की राजनीति करने वाला और दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक विरोधी करार देते हैं. वे इस बात पर लगातार जोर देते हैं कि पीएम मोदी संघ से आए हैं और उसकी विचारधारा को देश में थोपने की कोशिश कर रहे हैं. संघ और मोदी देश की बहुलता का सम्मान नहीं करते हैं. बता दें कि मोदी राजनीति में आने से पहले संघ के प्रचारक रहे हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर जिस तरह सख्त लकीर खींचकर अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने में जुटे थे. ऐसे में प्रणब मुखर्जी का संघ के कार्यक्रम में जाना और आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार को भारत का सच्चा सपूत बताना उसी तरह का है, जैसे 13 साल पहले बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान जाकर जिन्ना की कब्र पर फूल चढ़ाए और उन्हें सेक्युलर करार दिया था.
प्रणब ने संघ के कार्यक्रम में देश की विविधता और बहुलता पर जोर दिया और कहा कि भारत एक धर्म और एक विचार को मानने वाला देश नहीं है. हमारी बुनियाद सहिष्णुता और अहिंसा में है.
आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी के जाने से कांग्रेस असहज है. ये बात पार्टी नेताओं के बयानों से भी जाहिर होता है. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि आरएसएस के मुख्यालय में कांग्रेस के नेता रहे प्रणब दा को देखकर कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं और भारत की बहुलता, विविधता और भारतीय गणराज्य के आधारभूत मूल्यों में विश्वास करने वाले लोगों को बहुत दुख हुआ है.शर्मा ने आगे कहा कि संवाद केवल उसी के साथ हो सकता है, जो सुनने समझने और बदलाव में विश्वास रखता हो. ऐसे कुछ भी प्रतीत नहीं हो रहा है कि आरएसएस अपने ऐजेंडे से हटने वाला है. उसका मकसद सिर्फ व्यापक स्वीकृति हासिल करने की है.और प्रणब मुखर्जी के नागपुर दौरे से संघ को समाज में तथा विभिन्न राज्यों में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने में मदद मिलेगी.
संघ इससे पहले 1962 में नेहरू के बुलावे और गांधी की तारीफ जैसे उदाहरण देता था. आज के बाद अब जब भी संघ की आलोचनाएं कांग्रेस के लोग करेंगे तो संघ के पास प्रणब मुखर्जी का उदाहरण होगा कि वे संघ के मंच पर आए और कार्यक्रम को संबोधित किया.